भारत की पहली फ़िल्म ‘राजा हरिश्चन्द्र’
राजा हरिश्चंद्र (Raja Harishchandra) भारतीय सिनेमा की पहली फ़िल्म है जो अवाक (मूक) थी। राजा हरिश्चन्द्र फ़िल्म भारतीय सिनेमा के जनक दादा साहेब फाल्के ने 1913 में बनाई थी। धुंडीराज गोंविद फाल्के यानी दादा साहेब फाल्के इस फ़िल्म के निर्माता-निर्देशक थे और इस तरह वे भारतीय फ़िल्मों के पितामह बन गए। भारतीय फिल्म इंडस्ट्री को भारत ही नही बल्कि विश्व के सबसे बड़े फ़िल्म इंडस्ट्री में से एक माना जाता हैं। भारतीय फिल्म इंडस्ट्री भाषा के आधार पर कई भागो में बंटा हुआ है। जैसे तमिल, तेलुगु, मलयालम इत्यादि भाषाओं समेत सभी क्षेत्रीय भाषाओं की अपनी अपनी इंडस्ट्री हैं। इसी तरह हिंदी भाषा की फिल्मों के लिए बॉलीवुड हैं। बॉलीवुड का गढ़ मुंबई को कहा जाता है। यद्यपि फ़िल्म मूक है लेकिन इसमें दृश्यों के भीतर अंग्रेज़ी और हिन्दी में कथन लिखकर समझाया गया है। चूँकि फ़िल्म में अभिनय करने वाले सभी कलाकार मराठी थे अतः फ़िल्म को मराठी फ़िल्मों की श्रेणी में भी रखा जाता है।
राजा हरिश्चंद्र का निर्माण
फ़िल्म की कहानी राजा हरिश्चंद्र के जीवन पर आधारित थी। राजा हरिश्चंद्र इतिहास के एक महान राजा थे। इनका ज़िक्र कई ऐतिहासिक किताब, जैसे रामायण, महाभारत, देवी भागवत पुराण इत्यादि में देखने को मिलता हैं। चूंकि भारत की पहली फ़िल्म मूक फ़िल्म थी लेकिन इसमें बातों को शब्दों के साथ व्यक्त किया गया था। इस फ़िल्म के टाइटल में तीन भाषाओं, अंंग्रेजी, मराठी और हिंदी का उपयोग किया गया था। यह फ़िल्म 3 मई 1913 को रिलीज की गई थी। इस फ़िल्म की लंबाई 40 मिनट थी। इस फ़िल्म में अभिनय करने वाले मुख्य अभिनेता दत्तत्रेय दामोदर दबके, सालुंके, भालाचंद्र डी. फ़ाल्के, जी.वी. सेन आदि थे।
दादा साहब फाल्के को इस फ़िल्म के निर्माण की प्रेरणा तब मिली, जब यह 1906 में मुंबई के एक सिनेमाघर में एक अंंग्रेजी फ़िल्म The Life of Christ देख रहे थे। इस फ़िल्म के देखने के बाद फाल्के साहब ने भी फ़िल्म बनाने की सोची। इसलिए फ़िल्म बनाने की तकनीक सीखने के लिए लंदन गए। फिर वापस आ कर भारत में फाल्के फ़िल्मस की नींव डाली। फ़िल्म बनाने के लिए ज़रूरी सामान भारत में तब उपलब्ध नही थे तो उन्होंने इसे फ्रांस, इंग्लैंड, जर्मनी और अमेरिका जैसे देशों से मंगवाया। इसके बाद कई छोटी बड़ी चुनौतियों को पार करने के बाद फाल्के साहब ने इस फ़िल्म के निर्माण को पूरा किया। राजा हरिश्चंद्र फ़िल्म को बनाने में 6 माह और 27 दिन का समय लगा था।
स्रोत एवं संदर्भ