03/12/2024

फ़िल्म समीक्षा: शैतान

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काला जादू, टोना-टोटका, वशीकरण, असुरी शक्तियां, ये सब हमेशा से बहस के विषय रहे हैं। इनका कोई प्रमाण नहीं है। पढ़े-लिखे लोग इसे अंधविश्वास मानते हैं, लेकिन शायद ही कोई परिवार होगा, जिसने अपने बच्चों की नजर नहीं उतारी होगी। अजय देवगन की नई फिल्म का ‘शैतान’ कहता है कि जरूरी नहीं कि जो दिखता नहीं है, वो होता भी नहीं है। फिल्म का केंद्र यही काला जादू है जो एकाएक एक हंसते-खेलते परिवार की जिंदगी में भूचाल ला देता है। बॉलीवुड में हॉरर फिल्मों का जॉनर बहुत ही पीछे रहा है। इस जॉनर में बनी फ़िल्में भी बहुत कम और साधारण रही हैं। जबकि ये जॉनर पब्लिक को बहुत पसंद है। गुजराती फ़िल्म ‘वश’ का हिंदी वर्जन ‘शैतान’ इस कड़ी में मील का पत्थर साबित हो सकती है। फ़िल्म ‘शैतान’ की कहानी एकदम सरल है जो ट्रेलर से ही समझ आ गयी थी।

‘शैतान’ की कहानी

पेशे से सीए कबीर (अजय देवगन) की फैमिली में पत्नी ज्योति (ज्योतिका) के अलावा एक 16 वर्षीय बेटी जानवी (जानकी बोदिवाला) और एक 10 वर्षीय बेटा ध्रुव है। चारों लोग मस्ती से छुट्टी मनाने अपने फार्महाउस पर जा रहे हैं और रास्ते में एक अजीब रहस्यमयी इंसान वनराज (आर माधवन) मिलता है जो कबीर की बेटी को लड्डू खिलाकर अपने वश में कर लेता है। यही से कहानी में थ्रिल शुरू होता है जो अंत तक चलता है। दरअसल, खुद को भगवान मानने वाला वनराज, जानवी पर काला जादू करके उसे अपने वश में कर लेता है। वह जानवी को अपने साथ ले जाना चाहता है और कबीर के ना मानने पर जानवी को चायपत्ती खाने, नॉनस्टॉप नाचने, बेतहाशा हंसने से लेकर अपने ही मां बाप और भाई पर जानलेवा हमले करने पर मजबूर कर देता है।

‘शैतान’ की समीक्षा

कहानी इंगेज करती है, आगे क्या होने वाला है, इसकी जिज्ञासा बनी रहती है। हालांकि फ़िल्म हॉरर कम, मिस्ट्री ज़्यादा लगती है। शैतान बने माधवन ऐसा क्यों कर रहे हैं इस बात की उत्सुकता अधिक रहती है। फ़िल्म के कुछ सीन्स बहुत ही इमोशनल हैं जो दर्शक को बांधे रखने में मदद करते हैं। शैतान बने माधवन और उसके वश में गिरफ्त लड़की जानकी का अभिनय इस फ़िल्म की असली ताकत है। परेशान बेटी के पिता के रूप में अजय देवगन ने ‘दृश्यम 2’ वाला ही अभिनय किया है जो अच्छा लगता है। ज्योतिका ने भी अच्छा काम किया है। फ़िल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक थ्रिल करने में सहायक है। इससे पहले ‘क्वीन’ बनाने वाले निर्देशक विकास बहल की पूरी फ़िल्म पर मजबूत पकड़ रही है। अमित त्रिवेदी का दमदार संगीत फ़िल्म को मजबूती देता है। शैतान का विषय आम जनता को बहुत पसंद आने वाला है इसलिए बहुत कमाई करेगी। फ़िल्म का क्लाइमेक्स मुझे बहुत ज़्यादा ड्रामेटिक और कमज़ोर लगा।

अभिनय एवं अन्य तकनीकी पक्ष

चिल्‍लर पार्टी, क्‍वीन, शानदार, सुपर 30 जैसी फिल्‍मों का निर्देशन कर चुके विकास बहल ने पहली बार सुपरनेचुरल थ्रिलर जानर में हाथ आजमाया है। उन्‍होंने शहर से दूर स्थित हाउस को घने जंगल और मानसून में कहानी को अच्‍छे से सेट किया है। मध्‍यांतर से पहले फिल्‍म का ज्‍यादातर हिस्‍सा वशीकरण दिखाने में गया है। वनराज जैसे कहता है, जानवी उसका पालन करती है। यहां तक कि अपने भाई का सिर फोड़ देती है। पिता को थप्‍पड़ मार देती है। अपनी नेकर की जिप भी खोल देती है। यह उसकी ताकत से परिचित करवाती है। जानकी बोदीवाला  गुजराती फिल्‍म ‘वश’ में भी इस किरदार के लिए खूब तारीफ बटोर चुकी हैं। वहीं, माधवन ने फिर दिखाया है कि वे कितने उम्दा कलाकार हैं। अजय देवगन और ज्योतिका ने भी एक बेबस मां-बाप की लाचारी को अपनी आंखों से बखूबी उतारा है। हालांकि, अजय देवगन के कद के हिसाब से दर्शक उनके हिस्से में कुछ और मजबूत सीन की उम्मीद करते हैं। तकनीकी रूप से फिल्म मजबूत है। सुधाकर रेड्डी और एकांती की सिनेमटोग्राफी, अमित त्रिवेदी का म्यूजिक और संदीप फ्रांसिस की चुस्त एडिटिंग आपका ध्यान भटकने नहीं देता।

देखें या न देखें

आर माधवन और जानकी बोडीवाला का कमाल अभिनय के लिए एक बार अवश्य देखें। रेटिंग– 3.5*/5  ~गोविन्द परिहार (10.03.24)
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