जन्मदिन विशेषांक: फ़िल्म इंडस्ट्री के स्टाइल आइकॉन ‘फ़िरोज़ ख़ान’
1 min readफ़िल्म इंडस्ट्री के स्टाइल आइकॉन ‘फ़िरोज़ ख़ान’ (Feroz Khan) अपनी खास शैली, अलग अंदाज और किरदारों के लिए जाने जाते रहे। फ़िल्मों में कहीं वो एक सुंदर हीरो की भूमिका में हैं तो कहीं खूंखार विलेन के रोल में। दोनों ही चरित्रों में फ़िरोज़ ख़ान जान डाल देते थे। फ़िरोज़ ख़ान ने वर्ष 1960 में फ़िल्म ‘दीदी’ से अपनी फ़िल्मी सफर शुरू किया। दर्जनों फ़िल्मों में अभिनय किया। कई फ़िल्में निर्देशित की। लगभग पांच दशक का फ़िल्मी सफर तय करते हुए फ़िरोज़ ख़ान ने 2007 में आखिरी फ़िल्म दी-वेलकम, जिसमें वे खास अंदाज में पेश आए। उनका आरडीएक्स उपनाम खासा चर्चित रहा। ‘आदमी और इंसान’ फ़िल्म के लिए उन्हें फ़िल्म फेयर अवार्ड मिला। उसके अलावा फ़िरोज़ को ऊंचे लोग, मैं वहीं हूं, अपराध, उपासना, मेला, आग जैसी फ़िल्मों से जबरदस्त लोकप्रियता मिली। फ़िल्म धर्मात्मा, जानबाज, कुर्बानी, दयावान जैसी फ़िल्मों ने उन्हें शोहरत दिलाई। आइए जानते हैं इस अद्भुत कलाकार के बारे में कुछ रोचक तथ्य..!
फ़िरोज़ ख़ान के बारे में 25 रोचक तथ्य
- फ़िरोज़ का जन्म बेंगलुरु के पठान परिवार में 25 सितंबर 1939 को हुआ था। उनके पिता अफगान और माता ईरानी मूल की थीं।
- फ़िरोज़ ने बेंगलूरू के बिशप कॉटनब्वायज स्कूल और सेंट जर्मन ब्वायज हाई स्कूल से पढ़ाई की और अपनी किस्मत आजमाने के लिए मुंबई आ गए।
- वर्ष 1960 में फिल्म ‘दीदी’ में उन्हें पहली बार अभिनय करने का मौका मिला। इस फिल्म में वह सह-नायक थे। इसके बाद अगले पांच साल तक अधिकतर फिल्मों में उन्हें सह-नायक की भूमिकाएं ही मिली।
- 1965 में फणी मजूमदार की फिल्म ‘ऊंचे लोग’ में काम करने का मौका मिला। इस फिल्म में फ़िरोज़ के सामने अशोक कुमार और राजकुमार जैसे बड़े कलाकार थे, लेकिन अपने भावप्रवण अभिनय से वह दर्शकों में अपनी पहचान बनाने में सफल रहे।
- वर्ष 1965 में ही फ़िरोज़ की एक और फिल्म ‘आरजू’ प्रदर्शित हुई, जिसमें राजेन्द्र कुमार नायक और साधना नायिका थीं। इस फिल्म में उन्होंने अपने प्रेम की कुबार्नी देने वाले युवक का किरदार निभाया।
- 1969 में उनकी फिल्म ‘आदमी और इंसान’ प्रदर्शित हुई। इस फिल्म के लिए उन्हें फिल्मफेयर का सर्वश्रेष्ठ सहनायक का पुरस्कार मिला।
- फ़िरोज़ अपने भाई संजय खान के साथ भी कुछ फिल्मों में दिखाई दिए, जिनमें उपासना, मेला, नागिन जैसी हिट फिल्में शामिल हैं।
- फ़िरोज़ ख़ान सिर्फ एक मंझे हुए एक्टर ही नहीं थे, बल्कि वह एक बहुत ही शानदार निर्देशक भी रहे हैं। उन्होंने बतौर निर्देशक अपने करियर की शुरुआत 1972 में रिलीज हुई फिल्म ‘अपराध’ से की थी। इसके बाद धर्मात्मा, कुबार्नी, जांबाज, दयावान, यलगार, प्रेम अगन और जानशीं जैसी कुछ फिल्मों का निर्माण किया।
- फिल्म निर्माण और निर्देशन के क्रम में फ़िरोज़ ने हिन्दी फिल्मों में कुछ नयी बातों का आगाज किया। ‘अपराध’ भारत की पहली फिल्म थी, जिसमें जर्मनी में कार रेस दिखाई गई थी। ‘धर्मात्मा’ की शूटिंग के लिए वह अफगानिस्तान के खूबसरत लोकशनों पर गए। इससे पहले भारत की किसी भी फिल्म का वहां फिल्मांकन नहीं किया गया था।
- फ़िरोज़ ने अपने करियर की सबसे हिट फिल्म ‘कुबार्नी’ से पाकिस्तान की पॉप गायिका नाज़िया हसन के संगीत करियर की शुरुआत करायी।
- इनकी फिल्म ‘कुर्बानी’ ने बॉक्स ऑफिस पर धूम मचा दी थी। यह फिल्म मुंबई में तीन महीने तक हाउसफुल चली थी और इसकी जबरदस्त कमाई ने नोटों की बारिश कर दी थी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, फ़िरोज़ ने एक टीम को केवल नोट गिनने के लिए रखा था, और उस वक्त यह फिल्म 1.55 करोड़ में बनी थी, लेकिन इसने 6 करोड़ से अधिक की कमाई की थी।
- फ़िरोज़ ख़ान उन चंद अभिनेताओं में एक थे, जो अपनी ही शर्त पर फिल्म में काम करना पसंद करते थे। इस वजह से उन्होंने कई अच्छी फिल्मों के प्रस्ताव ठुकरा दिए थे। राजकपूर की फिल्म ‘संगम’ में राजेन्द्र कुमार और ‘आदमी’ फिल्म में मनोज कुमार वाली भूमिका के लिये उन्होंने मना कर दिया था। इसलिए उन्हें बॉलीवुड का ‘काऊब्वॉय’ भी कहा जाता था।
- आदमी और इंसान की शूटिंग के दौरान उनका सामना अभिनेता राजकुमार से हुआ। राजकुमार ने फ़िरोज़ को एक्टिंग के कुछ टिप्स दिए, लेकिन फ़िरोज़ ने सीधे कहा, आप अपनी एक्टिंग अपने तरीके से करें, मैं अपनी एक्टिंग अपने तरीके से करूंगा। राजकुमार को यह बात पसंद आई और उन्होंने कहा, मैं भी ऐसा ही हूं, और हमेशा ऐसे ही रहना।
- वर्ष 2003 में फ़िरोज़ खान ने अपने पुत्र फरदीन खान को लांच करने के लिये ‘जानशीन’ का निर्माण किया।
- बॉलीवुड में लेडी किलर के नाम से मशहूर फ़िरोज़ ने चार दशक लंबे सिने करियर में लगभग 60 फिल्मों में अभिनय किया।
- फ़िरोज़ हॉलीवुड से भी काफी प्रभावित थे और उनकी तुलना उन दिनों हॉलीवुड एक्टर से की जाती थी। जब उन्होंने फिल्में लिखनी शुरू की तो उन्होंने हॉलीवुड फिल्मों से प्रेरित होकर कई हिंदी फिल्में बनाई। फ़िरोज़ ने हॉलीवुड फिल्म ‘टार्जन गोज टू इंडिया’ में अभिनय भी किया है।
- फ़िरोज़ ख़ान ने फिल्म निर्माण की अपनी विशेष शैली बनायी थी। फ़िरोज़ ख़ान की निर्मित फिल्मों पर नजर डालें तो उनकी फिल्में बड़े बजट की हुआ करती थीं जिनमें बड़े-बड़े सितारे आकर्षक और भव्य सेट, खूबसूरत लोकेशन, दिल को छू लेने वाला गीत, संगीत और उम्दा तकनीक देखने को मिलती थी।
- कद काठी लंबी, रंग गोरा, स्मार्ट-हैंडसम चेहरा और बुलंद आवाज लाखों की भीड़ से अलग करता था। वह केवल फिल्मों में ही नहीं रियल लाइफ में भी सूट-बूट, जैकेट और सिर पर हैट के साथ हमेशा हीरो के गेटअप में रहते थे।
- फिल्मों में आने के 5 साल बाद फ़िरोज़ ने तलाकशुदा और एक बेटी की मां सुंदरी से शादी की थी। दोनों के दो बच्चे फरदीन और लैला खान हुए।
- शादीशुदा होने के बाद उनका एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर एयर होस्टेस ज्योतिका से रहा। इस बात पर बवाल हुआ, जिसके बाद सुंदरी ने घर छोड़ दिया और अलग रहने का फैसला किया। इसके बाद फ़िरोज़ ख़ान भी ज्योतिका के साथ लिव इन में रहने लगे।
- फ़िरोज़ अभिनेत्री मुमताज़ को बहुत पसंद करते थे और उनसे शादी करना चाहते थे लेकिन ऐसा नहीं हो सका। हालांकि उनके बेटे फरदीन ने मुमताज़ की बेटी नताशा से शादी कर ली जिससे फ़िरोज़ और मुमताज़ आपस में समधी बन गए।
- एक अवॉर्ड शो में फ़िरोज़ ख़ान ने एक नज्म सुनाई थी। ‘मोहब्बत ना दोस्ती के लिए, वक्त रुकता ही नहीं है किसी के लिए, अपने दिल को ना दुख दो यूं ही, इस जमाने की कोई बेरुखी के लिए! वक्त के साथ-साथ चलता रहे, यही बेहतर है आदमी के लिए…!!’ इससे उनका उद्देश्य देश के युवाओं को यह संदेश देना था कि वो वक्त के साथ जीवन में आगे बढ़ते रहें।
- साल 2006 में वह एक फिल्म के प्रमोशन के लिए पाकिस्तान गए थे, जहां भारत की तारीफ और पाकिस्तान की आलोचना के कारण एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया। इस घटना के बाद पाकिस्तान में उनकी एंट्री पर बैन लगा दिया गया, लेकिन फिर भी उनकी लोकप्रियता कम नहीं हुई।
- साल 2007 में आई अक्षय कुमार की फिल्म ‘वेलकम’ में वह आखिरी बार नजर आए। इस फिल्म में उन्होंने अंडरवर्ल्ड डॉन के किरदार से दर्शकों की खूब वाहवाही लूटी थी।
- अपने विशिष्ट अंदाज से दर्शकों के बीच खास पहचान वाले फ़िरोज़ ख़ान को कैंसर से भी जूझना पड़ा जिससे 27 अप्रैल 2009 को दुनिया को अलविदा कह गये।