जन्मदिन विशेषांक: सौन्दर्य और अभिनय की अद्भुत मिसाल ‘सुचित्रा सेन’
1 min readसुचित्रा सेन / Suchitra Sen (असली नाम: रोमा दासगुप्ता, जन्म: 6 अप्रैल, 1931 – मृत्यु: 17 जनवरी, 2014) अपने समय की सबसे खूबसूरत अभिनेत्रियों में एक थीं। ऐसा माना जाता है कि सुचित्रा सेन सौन्दर्य और अभिनय का अद्भुत मेल थीं। वह मुनमुन सेन की माँ थी। हर डायरेक्टर उनके साथ काम करना चाहता था। यहां तक कि जब उन्हें बॉलीवुड में पहली फिल्म मिली तो वो भी देवदास (Devdas) फिल्म में पारो का पॉपुलर रोल मिला। अपनी पहली ही बॉलीवुड फिल्म से सुचित्रा सेन ने दर्शकों के दिल में अपनी छाप छोड़ दी। उनके पिता करूणोमय दासगुप्ता एक हेड मास्टर थे। उन्होंने बंगाली सिनेमा के अलावा हिंदी सिनेमा में अपने अभिनय से अमिट छाप छोड़ी थी। सुचित्रा सेन ने बॉलीवुड के कई दिग्गज कलाकारों के साथ काम किया है। वह शानदार अभिनेत्री होने के अलावा स्वाभिमानी व्यक्तित्व वाली शख्सियत थीं। सुचित्रा सेन की निजी धरोहर उनका सौन्दर्य रहा है। ऐसा फोटोजनिक फेस कम देखने को मिलता है। कैमरे के किसी भी कोण से सुचित्रा को निहारा जाए तो उनकी सुंदरता बढ़ते चन्द्रमा की तरह और अधिक सुंदर होती जाएगी। इसीलिए सुचित्रा की अधिकांश फिल्मों में सिनेमैटोग्राफर्स ने उनके चेहरे के क्लोज-अप्स का ज्यादा इस्तेमाल किया है। उनका क्लोज-अप में चेहरा देखना एक सम्मोहक शक्ति के वश में हो जाने जैसा है।
सुचित्रा सेन के बारे में 25 रोचक तथ्य
- सुचित्रा सेन ने अपने कैरियर की शुरुआत 1952 में बंगाली फ़िल्म ‘शेष कोठई’ से की थी लेकिन अफसोस इस नाम से यह फिल्म कभी रिलीज ही नहीं हो सकी।
- अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में अवॉर्ड से नवाजी जाने वालीं सुचित्रा सेन पहली बांग्ला अभिनेत्री थीं।
- इसी साल उनकी एक और बांग्ला फिल्म ‘सारे चतुर’ रिलीज हुई, जो उनकी पहली फिल्म कही जाती है।
- दिग्गज अभिनेता उत्तम कुमार और सुचित्रा सेन की जोड़ी को कोई नहीं भुला सकता। दोनों ने 1953 से लेकर 1975 तक 30 फ़िल्मों में साथ काम किया।
- 1959 की बंगाली फ़िल्म ‘दीप जवेले जाई’ को सुचित्रा की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्मों में गिना जाता है। दस साल बाद यह फ़िल्म हिंदी में बनी थी, जिसमें सुचित्रा वाला रोल वहीदा रहमान ने किया था।
- 1975 की फ़िल्म ‘आंधी’ (Andhi) में सुचित्रा का रोल तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से प्रेरित बताया गया था। सुचित्रा ने इतना जबरदस्त अभिनय किया था कि उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए नामित किया गया था। हालांकि सुचित्रा तो सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री नहीं चुनी गई, लेकिन फ़िल्म के उनके साथी कलाकार संजीव कुमार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता ज़रूर बन गए।
- उनकी बेटी मुनमुन सेन भी माँ के नक्शे कदम पर चलते हुए बंगाली फ़िल्मों के साथ हिंदी फ़िल्मों में भी आई।
- सुचित्रा सेन पहली ऐसी बंगाली अदाकारा बनीं जिन्हें इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल में सम्मानित किया गया। उन्हें ‘सात पाके बांधा’ के लिए 1963 में मॉस्को फ़िल्म फेस्टिवल में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार मिला था।
- सुचित्रा सेन ने 1955 में ‘देवदास’ में पारो का किरदार निभाया था, ये उनकी पहली हिंदी फ़िल्म भी थी।
- लोगों की नज़रों से दूर और एकांत में रहने के लिए 2005 में सुचित्रा सेन ने दादासाहेब फाल्के पुरस्कार (Dadasaheb Phalke Award) लेने से इनकार कर दिया था।
- सुचित्रा सेन अभिनीत फ़िल्म ‘आंधी’ के रिलीज के 20 हफ्तों बाद ही इसे गुजरात में प्रतिबंधित कर दिया गया था। 1977 में जनता पार्टी के सत्ता में आने के बाद ही इससे रोक हटाई गई।
- फ़िल्मों से अपने रिटायरमेंट के बाद से ही सुचित्रा सेन लोगों की नजरों से दूर रहीं और अपना समय ‘रामकृष्ण मिशन’ में लगाया।
- सुचित्रा सेन ने फ़िल्म ‘देवी चौधराइन’ के लिए सत्यजीत रे (Satyajit Ray) का ऑफर ठुकरा दिया था। जिसके बाद सत्यजीत रे ने ये फ़िल्म कभी नहीं बनाई।
- आर.के. फ़िल्म्स बैनर के तले राज कपूर (Raj Kapoor) के फ़िल्म प्रस्ताव को भी सुचित्रा सेन ने ठुकराया है।
- फ़िल्मफेयर में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए उन्हें दो बार नामित किया गया। 1963 में फ़िल्म ‘ममता’ और 1976 में फ़िल्म ‘आंधी’ के लिए।
- साल 1947 में सुचित्रा सेन की शादी बंगाल के जाने-माने उद्योगपति अदिनाथ सेन के बेटे दीबानाथ सेन से हो गई।
- सुचित्रा की कुल 61 फिल्मों में से 30 उत्तम कुमार के साथ थीं।
- साल 1952 से 1978 के बीच सुचित्रा ने हिंदी और बंगला में कुल 61 फिल्में की। इनमें से 20 से ज्यादा फिल्में ब्लॉकबस्टर रहीं तो वहीं एक दर्जन से ज्यादा फिल्में सुपर हिट रही थीं।
- हिन्दी सिनेमा के दर्शकों के लिए सुचित्रा की पहचान सिर्फ सात फिल्मों से हैं। सबसे पहले बिमल राय की फिल्म देवदास (1955) में उन्होंने पार्वती (पारो) का रोल किया और फिल्म को यादगार बनाया। बिमल राय पहले इस रोल के लिए मीना कुमारी को लेना चाहते थे।
- दिलीप कुमार ने सुचित्रा सेन की प्रशंसा करते एक बार कहा था कि उन्होंने पहली बार किसी एक महिला में अद्भुत सौन्दर्य और बुद्धि दोनों को एक साथ महसूस किया है।
- आँधी और सरहद के बीच फिल्मकार असित सेन की हिन्दी फिल्म ‘ममता’ (1966) में सुचित्रा ने माँ और बेटी के दोहरे किरदार को निभाया है।
- सुचित्रा की हिन्दी में दूसरी फिल्म ऋषिकेश मुखर्जी के निर्देशन में बनी मुसाफ़िर (1957) है। इसमें दिलीप कुमार से भी सीनियर अभिनेता शेखर, सुचित्रा के नायक बने। इसके बाद चम्पाकली (1957) फिल्म में भारत भूषण के साथ सुचित्रा ने काम किया।
- सुचित्रा सेन ने फिल्मों से संन्यास लेने के बाद खुद से वादा किया था कि वह कभी भी पब्लिक के बीच नहीं आएंगी और ऐसा ही हुआ।
- सुचित्रा सेन ने आखिरी बार 1978 में आई फिल्म ‘प्रणोय पाश’ में नजर आई थीं। इसके बाद उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री से संन्यास ले लिया और राम कृष्ण मिशन की सदस्य बन गईं
- 1972 में सुचित्रा को पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया। 17 जनवरी, 2014 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।