22/11/2024

हॉरर फ़िल्मों के सरताज ‘कुमार रामसे’ का 85 उम्र में निधन

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80 और 90 के दशक में हॉरर फिल्मों के सरताज माने जाने वाले रामसे ब्रदर्स में से एक कुमार रामसे का निधन हो गया है। कुमार रामसे का 85 साल की उम्र में निधन हो गया है। कुमार रामसे के भतीजे अमित रामसे के मुताबिक, ‘कुमार रामसे को गुरुवार सुबह करीब साढ़े पांच बजे दिल का तेज दौरा पड़ा और उन्होंने हीरानंदानी स्थित अपने घर पर ही अंतिम सांस ली।’

सात भाई हैं रामसे ब्रदर्स

कुमार रामसे ने रामसे ब्रदर्स की फिल्मों में लेखन का कार्यभार संभाला। उनकी लिखी चर्चित फिल्मों में ‘पुराना मंदिर’, ‘खोज’ और ‘साया’ शामिल हैं। कुमार रामसे ‘और कौन’ और ‘दहशत’ फिल्मों के निर्माता भी रहे। सोशल मीडिया पर कुमार रामसे को श्रद्धांजलि देने का सिलसिला जारी है। फैंस उनके द्वारा बनाई फिल्मों को याद कर रहे हैं। इससे पहले 2019 में रामसे ब्रदर्स में से एक श्याम रामसे का 67 साल की उम्र में निधन हो गया था। श्याम रामसे के सात भाई थे। इन सभी को रामसे ब्रदर्स के नाम से पहचाना जाता है। कुमार रामसे, केशू रामसे, तुलसी रामसे, करन रामसे, श्याम रामसे, गंगू रामसे और अर्जुन रामसे। रामसे ब्रदर्स की बायोग्राफी Don’t Disturb The Dead- The Story Of the Ramsay Brothers के अनुसार, उनका परिवार 1947 में पार्टिशन के बाद मुंबई आ गया था। यहां आकर रामसे बंधुओं के पिता ने मुंबई में पहले इलेक्ट्रॉनिक की दुकान खोली थी, लेकिन हिंदी सिनेमा के ग्लैमर ने उन्हें अपनी ओर खींच लिया। इसके बाद सातों भाईयों ने अपने पिता के कदम से कदम मिलाते हुए फिल्में बनाने का काम शुरू किया।

रामसे ब्रदर्स की फ़िल्में

रामसे बंधुओं में से तुलसी और श्याम ने हॉरर फिल्मों में दिलचस्पी दिखाई और हॉलीवुड की कॉपी करते हुए इंडियन मसाला शामिल करके भूतिया फिल्में बनानी शुरू की। इन दोनों ने मिलकर हॉरर फिल्मों का एक जबरदस्त ट्रेंड शुरू किया। रामसे ब्रदर्स ने परदे पर ऐसा खौफ बिखेरा कि वो इस जॉनर के मास्टर बन गए। रामसे ब्रदर्स ने अंधेरे से भरे थिएटर में डराकर दर्शकों का मनोरंजन करने के लिए हॉलीवुड फिल्मों से प्रेरणा ली और उस वक्त खुद को साबित किया जब दुनिया एंग्री यंगमैन के नाम से वाकिफ हो चुकी थी। उन दिनों रोमांटिक फिल्मों का दौर था। उस वक्त रामसे ब्रदर्स ने चांस लिया और हिंदी सिनेमा को मिली भूत, प्रेत, आत्मा और शैतान की कहानियां। कुमार रामसे ब्रदर्स की ज्यादातर फिल्मों की पटकथा लिखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते थे जिनमें “पुराना मंदिर” (1984), “साया”, “खोज” (1989) शामिल हैं। “साया” में मुख्य भूमिका शत्रुघ्न सिन्हा (Shatrughan Sinha) ने निभाई थी और 1989 की हिट फिल्म ‘खोज’ (Khoj) में अभिनेता ऋषि कपूर (Rishi Kapoor) और नसीरुद्दीन शाह (Naseeruddin Shah) मुख्य भूमिकाओं में थे।
उन्होंने 1979 में ‘और कौन?’ तथा 1981 में ‘दहशत’ जैसी फिल्मों का भी निर्माण किया था।

1972दो गज़ ज़मीन के नीचे
1975अंधेरा
1978दरवाज़ा
1979और कौन?
1980सबूत
1980गेस्ट हाउस
1981दहशत
1981सन्नाटा
1981होटल
1981घूंघरू की आवाज़
1984पुराना मंदिर
1985टेलीफोन
1986तहखाना
1986ओम
1987डाक बंगला
1988वीराना
1989पुरानी हवेली
1990बंद दरवाज़ा

 

 

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