21/11/2024

भारत की पहली सवाक फ़िल्म ‘आलम-आरा’

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भारत की पहली सवाक (बोलती) फ़िल्म आलम-आरा 1931 में बनी थी। आलम-आरा के निर्देशक अर्देशिर ईरानी हैं। ईरानी ने सिनेमा में ध्वनि के महत्व को समझते हुये, आलमआरा को और कई समकालीन सवाक फिल्मों से पहले पूरा किया। आलम आरा, मुंबई (उस समय बंबई) के मैजेस्टिक सिनेमा में 14 मार्च 1931 को रिलीज हुई थी। यह पहली भारतीय सवाक फ़िल्म इतनी लोकप्रिय हुई कि “पुलिस को भीड़ पर नियंत्रण करने के लिए सहायता बुलानी पड़ी थी”  वरिष्ठ अभिनेता ए. के. हंगल ने एक समाचार एजेंसी से कहा था, “आज की तुलना में उस फ़िल्म की आवाज़ और एडिटिंग बहुत ख़राब थी लेकिन फिर भी उस ज़माने में हम लोग इस फ़िल्म को देख कर दंग रह गए थे।”

आलम-आरा ने रखी फ़िल्मी संगीत की नींव

आलम-आरा ने ही भारतीय फ़िल्मों में फ़िल्मी संगीत की नींव भी रखी। प्रख्यात फ़िल्म निर्देशक श्याम बेनेगल ने आलम-आरा की चर्चा करते हुए कहा है कि “यह सिर्फ एक सवाक फ़िल्म नहीं थी बल्कि यह बोलने और गाने वाली फ़िल्म थी जिसमें बोलना कम और गाना अधिक था। इस फ़िल्म में कई गीत थे और इसने फ़िल्मों में गाने के द्वारा कहानी को कहे जाने या बढाये जाने की परम्परा का सूत्रपात किया।” हिन्दी-उर्दू भाषा में बनी इस फ़िल्म के प्रदर्शन के साथ ही शुरू हुआ भारतीय फ़िल्म जगत में पार्श्व गायिकी और पार्श्व संगीत का एक ऐसा दौर जो आज तक भारतीय फ़िल्म की जान और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी पहचान बना हुआ है।

तनर सिंगल सिस्टम का उपयोग

तनर ध्वनि प्रणाली का उपयोग कर अर्देशिर ईरानी ने ध्वनि रिकॉर्डिंग विभाग स्वयंं संभाला था। फ़िल्म का छायांकन तनर सिंगल सिस्टम कैमरे द्वारा किया गया था जो ध्वनि को सीधे फ़िल्म पर दर्ज करते थे क्योंकि उस समय साउंडप्रूफ स्टूडियो उपलब्ध नहीं थे इसलिए दिन के शोर-शराबे से बचने के लिए इसकी शूटिंग अधिकांंश रात में की गयी थी। शूटिंग के समय माइक्रोफ़ोन को अभिनेताओं के पास छिपा कर रखा जाता था।

आलम-आरा एक राजकुमार और बंजारन लड़की की प्रेम कथा है। यह जोसफ डेविड द्वारा लिखित एक पारसी नाटक पर आधारित है। दादा साहेब फालके की फ़िल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ के 18 वर्ष बाद आने वाली फ़िल्म ‘आलम आरा’ ने हिट फ़िल्मों के लिए एक मापदंड स्थापित किया, क्योंकि यह भारतीय सिनेमा में इस संदर्भ में पहला क़दम था। इसके बाद और भी भाषाओं में बोलती फ़िल्में आईं। 1931 में ही बंगाली फ़िल्म ‘जमाई षष्ठी’, तमिल में ‘कालीदास ‘ और तेलुगू में ‘भक्त प्रह्लाद’ रिलीज़ हुई थी।

 

स्रोत एवं संंदर्भ:– 

 

 

 

 

 

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