फ़िल्म समीक्षा: अमर सिंह चमकीला
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‘अमर सिंह चमकीला’ की कहानी
‘अमर सिंह चमकीला’ की समीक्षा
‘अमर सिंह चमकीला’ मार्मिक है, उत्तेजक है और किसी कविता की तरह है, जो ज्वलंत भावनाओं को जगाती है। फिल्म में उद्देश्य भी है, सहानुभूति भी। यह बायोपिक आपको खुद के अंदर झांकने पर भी मजबूर करती है। फिल्म देखते हुए मन में कई सवाल उठते हैं। मसलन, क्या हम अस्तित्व के गुलाम हैं? कला क्या है? यह कौन तय करता है कि कला के रूप में क्या सही है और क्या गलत? क्या सम्मान के बिना प्रसिद्धि मायने रखती है? निर्देशक ने चमकीला को हीरो बनाने की कोशिश नहीं की है, कलाकार अंदर से कैसा होता है, ये बताने की कोशिश की है, जो इस फ़िल्म का सबसे मजबूत पक्ष है। फ़िल्म में चमकीला के कई संवाद बहुत गहरा अर्थ रखते हैं। हालांकि चमकीला अश्लील गाने गाता है लेकिन न फ़िल्म अश्लील है और न ही चमकीला का चरित्र। चमकीला बस वही करता है जो जनता को पसंद है।
इम्तियाज अली उन निर्देशकों में से हैं, जिन्होंने पर्दे पर प्रेम और खुद की तलाश को सहज भाव से फिल्माया है। वो ऐसी फिल्में बनाने के लिए जाने जाते हैं जो दिल की बात करती हैं और सीधे दिलों में उतरती हैं। इस बार ‘अमर सिंह चमकीला’ के जरिए उन्होंने एक अलग राह चुनी है। वह मोरल पुलिसिंग यानी नैतिक तौर पर सही-गलत, जातिगत भेदभाव, सामाजिक बदमाशियों और पूर्वाग्रह में डूबी एक त्रासदी में गहराई से उतरते हैं।
अभिनय एवं अन्य तकनीकी पक्ष
दिलजीत दोसांझ मुख्य भूमिका में शानदार हैं और अपने मंत्रमुग्ध कर देने वाले प्रदर्शन से उत्साह बढ़ाते हैं चूँकि दिलजीत पेशे से एक गायक हैं, इसलिए उनका प्रदर्शन बहुत स्वाभाविक लग रहा था। उन्होंने विभिन्न भावनाओं को आश्चर्यजनक तरीके से चित्रित किया। दिलजीत की पत्नी के रूप में परिणीति चोपड़ा ने बहुत अच्छा काम किया है। यह भूमिका परिणीति के लिए बहुत चुनौतीपूर्ण है, यह देखते हुए कि वह एक प्रसिद्ध गायक के साथ अभिनय कर रही हैं (गाने दिलजीत और परिणीति की आवाज़ के माध्यम से लाइव रिकॉर्ड किए जाते हैं)। एक्ट्रेस ने दिलजीत के साथ तालमेल बिठाने की पूरी कोशिश की। फिल्म में ज्यादातर लाइव परफॉर्मेंस दिखाए गए हैं। इस काम में सिंगर दिलजीत के साथ परिणीति चोपड़ा ने बराबर मदद की है।
दिग्गज एआर रहमान ने शानदार काम किया और वह दिलजीत के बाद अमर सिंह चमकीला के दूसरे स्तंभ हैं। मैदान के लिए उनका काम अब एक तरफ दिल जीत रहा है, और थोड़े ही अंतराल में उन्होंने एक बार फिर अपना जादू बिखेर दिया है। फिल्म के गाने लाजवाब हैं। मोहित चौहान और दिलजीत की आवाज में ये गाने कानों को अच्छा फील देते हैं। म्यूजिक के लिए ए आर रहमान ने जो किया है वो अलग ही है। स्टूडियो के बिना तैयार किया गया म्यूजिक जैसा सुनाई देता है, वो भी देसी टच के साथ।
निर्देशक इम्तियाज अली ने अमर सिंह चमकीला की संगीत यात्रा को चित्रित करने में ठोस काम किया। उन्होंने गायक से जुड़ी घटनाओं को भी इसमें शामिल किया और इम्तियाज ने किसी का पक्ष नहीं लिया। फिल्म के साथ वास्तविक जीवन के फुटेज दिखाने का विकल्प एक उत्कृष्ट विचार है, और यह हमें अमर सिंह चमकीला के साथ बेहतर ढंग से जुड़ने में मदद करता है।