फ़िल्म समीक्षा: भूल भुलैया 3
1 min readइस बार दिवाली पर 2 बड़ी फ़िल्में भूल भुलैया 3 और सिंघम अगेन रिलीज हुई। मेरे पास दोनों का देखने का विकल्प था लेकिन मैंने पहले भूल भुलैया चुनी क्योंकि ओरिजनल भूल भुलैया (2007) मेरी पसंदीदा फ़िल्मों में से एक है। इसको पहले देखने की एक और वजह निर्देशक अनीस बज़्मी थे जिनकी कई फ़िल्में मुझे बहुत पसंद हैं। जैसे- वेलकम, नो एंट्री, दीवानगी।
भूल भुलैया 3 की कहानी
भूल भुलैया 3 की कहानी एकदम नई है। रुहान उर्फ रूह बाबा (कार्तिक आर्यन) एक ठग की तरह है जो लोगों को भूत की कहानियों में मूर्ख बनाकर अपना जीवन यापन कर रहा है। उसे ऐसे ही एक पुराने महल की मंजुलिका चुडैल का केस मिलता है। वहां उसे बताया जाता है कि वो उस महल का राजकुमार है जिसका पुनर्जन्म हुआ है। ये बात रुहान को पता है कि उसका कोई पुनर्जन्म नहीं हुआ और खुद भूतों से बहुत डरता है लेकिन उसे मंजुलिका को भगाने के लिए 1 करोड़ का ऑफर दिया जाता है तो वह रुक जाता है। महल में उसकी मुलाकात मीरा (तृप्ति डिमरी) से होती है और दोनों को एक दूसरे से प्यार हो जाता है। महल की जर्जर हालत को ठीक करने के लिए एक आर्कियोलॉजी विशेषज्ञ मल्लिका (विद्या बालन) के आने से महल में अजीब घटनाओं की शुरुआत होती है। इंटरवल से ठीक पहले इस महल को खरीदने आई मंदिरा (माधुरी दीक्षित) के आने से मंजुलिका की पहेली और मुश्किल हो जाती है। मल्लिका और मंदिरा दोनों में से कौन मंजुलिका है? इसी रहस्य को सुलझाने के लिए महल के राज पुरोहित (मनीष वाधवा) इसका इतिहास रुहान को बताते हैं।
भूल भुलैया 3 की समीक्षा
फ़िल्म की धीमी गति थोड़ी अखरती है। निर्देशक ने समझाने में बहुत समय लिया है। फ़िल्म को छोटा किया जा सकता था। कहानी में अच्छे रोमांचक क्षण आते रहते थे लेकिन लय नहीं बन पाती। दोनों नये गाने साधारण है जो कहानी को रोचकता को कम करते हैं। पूरी फ़िल्म कार्तिक आर्यन के कन्धों पर चलती है। उन्होंने बेहतरीन काम किया है। हॉरर और कॉमेडी दोनों में वे शानदार लगे हैं। विद्या बालन और माधुरी दीक्षित दोनों ने अच्छा काम किया है जबकि महल के राजा बने विजय राज और बड़े पंडित संजय मिश्रा हँसाने में कामयाब रहे हैं। निर्देशक ने दृश्यों में कॉमेडी डालने के लिए जो टूल इस्तेमाल किये हैं, वो असरदार हैं। क्लाइमेक्स अच्छा और संतोषजनक है। फ़िल्म का मुख्य सस्पेंस ही इसका सबसे मजबूत पक्ष है जो दर्शकों को पसन्द आया तो फ़िल्म बड़ी हिट हो सकती है। फ़िल्म का टाइटल ट्रैक दिलजीत दोसांझ ने गाया है, जो अच्छा लगा है।
देखें या न देखें
ओरिजनल भूल भुलैया को भूल जाओ तो ये फ़िल्म अच्छी लगेगी। एक बार देख सकते हैं। ~गोविन्द परिहार