फ़िल्म समीक्षा: गदर 2
1 min readकरीब 22 साल पहले रिलीज हुई फिल्म ‘गदर : एक प्रेम कथा’ की सीक्वल फिल्म ‘गदर 2 : द कथा कंटीन्यूज’ का रिलीज से पहले दर्शकों के बीच इतना जबर्दस्त क्रेज था कि बीते दिनों 4K वर्जन में दोबारा रिलीज की गई फिल्म ‘गदर: एक प्रेम कथा’ को भी देखने काफी संख्या में दर्शक सिनेमा पहुंचे थे। गदर जो 2001 में रिलीज हुई थी, को अनिल शर्मा ने डायरेक्ट किया था। उस समय इसका मुकाबला बॉक्स ऑफिस पर लगान के साथ हुआ था, फिर भी यह बॉक्स ऑफिस की बादशाह बनी थी। अब गदर 2 रिलीज हुई है तो इसका मुकाबला ओएमजी 2 से है। गदर 2 को अनिल शर्मा ने डायरेक्ट किया है। फिल्म में सनी देओल, अमीषा पटेल, उत्कर्ष शर्मा और मनीष वाधवा लीड रोल में हैं। एक बार फिर तारा सिंह के किरदार में सनी देओल स्क्रीन पर गदर मचाते नजर आते हैं और एक बार फिर पाकिस्तान मिशन पर निकले हैं।
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‘गदर 2’ की कहानी
‘गदर 2’ की कहानी के मुताबिक तारा सिंह (सनी देओल) और सकीना (अमीषा पटेल) भारत लौटकर खुशहाल जिंदगी जी रहे हैं। उनका बेटा चरनजीत उर्फ जीते (उत्कर्ष शर्मा) भी अब बड़ा हो गया है। उधर पाकिस्तान में मेजर जनरल हामिद इकबाल (मनीष वाधवा) इंतकाम की आग में जल रहा है, क्योंकि तारा सिंह उसकी रेजीमेंट के 40 जवानों को मारकर सकीना को हिंदुस्तान ले गया था। उसके बदले हामिद ने सकीना के पिता अशरफ अली (अमरीश पुरी) को तो फांसी लगवा दी। लेकिन वह तारा से भी इंतकाम लेना चाहता है। एक दिन अचानक हामिद को अपनी मुराद पूरी करने का मौका मिल जाता है, जब एक गलतफहमी के चलते पाकिस्तान पहुंचा तारा का बेटा जीते उसकी गिरफ्त में आ जाता है। अपने बेटे को छुड़ाने के लिए तारा सिंह एक बार फिर पाकिस्तान जाने का फैसला करता है।
‘गदर 2’ की समीक्षा
फिल्म की शुरुआत नाना पाटेकर की आवाज और पिछली फिल्म की चुनिंदा फुटेज के साथ दर्शकों को गदर की याद दिलाने से होती है। हालांकि फिल्म का फर्स्ट हाफ थोड़ा धीमा और खींचा हुआ लगता है। इसकी लंबाई को थोड़ा कम किया जा सकता था लेकिन इंटरवल से पहले कहानी में जबर्दस्त ट्विस्ट आता है और सेकंड हाफ में कहानी तेजी से आगे बढ़ती है। इंटरवल के बाद सनी देओल बेहतरीन एक्शन सीन के साथ फुल फॉर्म में नजर आते हैं। फिल्म का क्लाईमैक्स भी अच्छा है। डायरेक्टर अनिल शर्मा ने गदर 2 में खूबसूरती से ‘गदर’ की यादों को पिरोया है, जिनसे दर्शक इमोशनली कनेक्ट कर पाते हैं। उन्होंने फिल्म में एक्शन, इमोशन व देशभक्ति का परफेक्ट तड़का लगाया है। हो सकता है कि कई जगह आपको फिल्म के कुछ मारधाड़ वाले सीन का लॉजिक समझ नहीं आए, लेकिन दर्शकों की सीटियां और तालियां आपको ज्यादा सोचने का मौका नहीं देंगी। गदर 2001 में आई थी तो धमाल हो गया था। फिल्म की प्रेम कहानी, विभाजन के दौर के रोंगटे खड़े कर देने वाले सीन और तारा सिंह की पाकिस्तान में दहाड़, बेमिसाल था लेकिन एक बार फिर तारा सिंह पाकिस्तान जाता है सब कुछ बहुत ही बनावटी और देखा हुआ सा लगता है।
अभिनय
अभिनय की बात करें तो तारा सिंह के अवतार में सनी देओल फिर से छा गए हैं चाहे सकीना के आगे पिघलना हो या फिर गुस्से वाले सीन, सनी देओल का स्टाइल आपको पसंद आएगा। अमीषा पटेल के पास रोने और शरमाने से ज्यादा कुछ है नहीं। वो ठीक रही हैं। फिल्म में इस बार उत्कर्ष शर्मा को खूब स्क्रीन टाइम दिया गया है जिसका अंदाजा भी था क्योंकि निर्देशक उनके पिताजी हैं। उत्कर्ष अपने अंदाज में ठीक भी लगे हैं हालांकि वो कई जगह थोड़े ओवर एक्टिंग करते हुए लगे हैं। अमरीश पुरी की कमी को पूरा करने का काम मनीष वाधवा ने किया है। वाधवा मेजर हामिद के अंदाज में जंचे हैं। जितना खूंखार उन्हें लगना था, उतना लगे हैं। सनी देओल ने एक बार फिर तारा सिंह के किरदार को परदे पर उतारने के लिए हर वह काम करते हैं जो कर सकते हैं। 66 साल की उम्र में उनकी फिटनेस और डायलॉग डिलीवरी कमाल है। उत्कर्ष की प्रेमिका के रूप में सिमरत कौर सुंदर लगी हैं, उनका इससे अच्छा हिंदी डेब्यू नहीं हो सकता था।
निर्देशन
अनिल शर्मा की कहानी और डायरेक्शन दोनों ही औसत रहे हैं लेकिन उनका एक टाइप है जिसे जनता का एक खास वर्ग पसन्द तो करता है। कहानी 1971 में सेट है लेकिन कहीं कहीँ लगता है 2000 के आसपास की बात है। बजट के हिसाब से देखा जाये एक्शन अच्छा है। डायरेक्शन के मामले में अनिल शर्मा नयापन नहीं ला पाते हैं। गदर जैसी फिल्म के सीक्वल के लिए कहानी धमाकेदार होनी चाहिए थी। कुल मिलाकर सनी देओल ही फिल्म की यूएसपी हैं, लेकिन यहां उत्कर्ष शर्मा को एक बार फिर लॉन्च किया जा रहा है तो सनी का स्क्रीनस्पेस कम हो गया है।
संवाद एवं संगीत
‘गदर 2’ को नॉस्टेलजिया के पूरे नंबर मिलेंगे, चाहे ‘गदर’ के गाने हों या फिर पुराने किरदारों की झलक, पुरानी फिल्म की कई यादें जरूर याद आएंगी। ‘गदर 2’ एक फुल ऑन मसाला एंटरटेनर फिल्म है और इसकी सारी ताकत इसके डायलॉग्स में है। यदि पिछली गदर से डायलॉग की तुलना की जाये तो कमतर हैं लेकिन फिर भी दर्शकों के लिए इसमें मसाला मौजूद है। फिल्म में कई डायलॉग ऐसे हैं जब तालियां और सीटियां बजती है। फिल्म के क्लाइमैक्स में ‘हिंदुस्तान जिंदाबाद’ वाला पूरा सिच्युएशन क्रिएट किया गया है और यकीन मानिए पूरे थिएटर में कोई न कोई तो ऐसा होगा ही जो इस फिल्म को देखते हुए ये नारा जरूर लगाएगा। फिल्म मेंं 2 पुराने गानों को ही रीक्रियेट किया है जो अच्छे लगते हैं साथ में 4 नये गाने भी हैं जिसमें ‘ख़ैरियत…’ और ‘चल तेरे इश्क में…’ अच्छे लगे। कुल मिलाकर गदर 2 का गीत-संगीत औसत से ऊपर रखा जा सकता है।
देखें या न देखें
यदि आप सनी देओल के फ़ैन हैं तो अवश्य देखें क्योंकि पाकिस्तान में तारा सिंह का किरदार सनी देओल पर खूब जमता है। कुछ नया देखना चाहते हैं तो निराश होंगे। एक्शन फिल्मों के शौकीन हैं तो भी एक बार देख सकते हैं। सिनेमा की दृष्टि से फिल्म औसत हैं। रेटिंग- 2.5/5 ~गोविन्द परिहार (18.08.23)