फ़िल्म समीक्षा: केसरी चैप्टर 2
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केसरी चैप्टर 2 की कहानी
शंकरन नायर एक प्रसिद्ध वकील (अक्षय कुमार) है जिसे ब्रिटिश शासन नाइटहुड सर की उपाधि से सम्मानित कर चुका है लेकिन उसे जब अहसास होता है कि ब्रिटिश सरकार जलियांवाला बाग के भीभत्स हत्याकांड का सच छुपा रही है तो वो खुद ब्रिटिश सरकार के ख़िलाफ़ केस लड़ने का फैसला करता है। उन्हें टक्कर देने आता है आधा एंगो इंडियन वकील नेविल मैककिनले (आर माधवन)। अदालती जिरह में जनरल डायर के निर्णयों पर शंकरन सवाल उठाते हैं। शंकरन नायर की मदद करती है दिलरित गिल (अनन्या पांडे)।
केसरी चैप्टर 2 की समीक्षा
यह फिल्म रघु पलात और पुष्पा पलात द्वारा लिखी किताब ‘द केस दैट शुक द एम्पायर’ पर आधारित है। ये फ़िल्म हर भारतीय को देखनी चाहिए। किस तरह अंग्रेजों ने हम पर जुल्म ढाए और हम सहते रहे! इस फ़िल्म के निर्माता और निर्देशक को धन्यवाद देना चाहिए जिनके बदौलत हम ऐसे ऐतिहासिक तथ्य जान पाए। देश की आजादी के योगदान में अपना सबकुछ लगाने वाले भूले बिसरे हीरो लोगों के बारे में जान पाए। बैरिस्टर सी शंकरन नायर जैसे बहादुर और बेहद बुद्धिमान भारतीय के बारे में जान पाए। अक्षय कुमार ने पिछली कुछ फ़िल्मों में अपने अभिनय कला में जबरदस्त रेंज दिखाई है जो पहले कभी कभी दिखती थी! परदे पर वकील का किरदार करना आसान नहीं होता! यहां अक्षय ने एक बार फिर अपनी दमदार संवाद अदायगी दर्ज कराई है। फ़िल्म की पटकथा मजबूत है, बैकग्राउंड म्यूजिक दमदार है, क्लाईमेक्स जबरदस्त है। कुछ संवादों में अंग्रेज़ी भाषा में गाली दी गई है लेकिन वो ज़रूरी लगी। पहली बार मुझे गाली ज़रूरी लगी! टॉयलेट वाले दृश्य में एक एडल्ट डॉयलॉग है लेकिन बहुत ही पावरफुल है! क्लाईमेक्स इतना बेहतरीन है कि इसे देखते समय हर भारतीय के रोंगटे खड़े हो जायंगे! माधवन का अभिनय भी जबरदस्त है और अनन्या पांडे का काम भी अच्छा है।