31/03/2025

फ़िल्म समीक्षा: मेरे हसबैंड की बीवी

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लेखक-निर्देशक मुदस्सर अजीज ‘हैप्पी भाग जाएगी’ और ‘पति पत्नी और वो’ से लेकर ‘खेल खेल में’ तक, वे 1990 के दशक के आजमाए हुए और परखे हुए बॉलीवुड के फ़ॉर्मूले को एक औसत दर्शक वर्ग के लिए फिर से पेश करने में सक्षम रहे हैं, जो बॉलीवुड रोमांस के छोले भटूरे वाले संस्करण पर पले-बढ़े हैं। मेरे हसबैंड की बीवी का रोमांटिक-कॉमेडी फिल्म है। फिल्म को एंटरटेनिंग बनाने की बहुत कोशिश की गई है मगर बन नहीं पाई है।

मेरे हसबैंड की बीवी की कहानी

अर्जुन कपूर की मूवी लव ट्रायंगल की कहानी को दिखाती है। इसमें अंकुर चड्ढा (अर्जुन कपूर), प्रबलीन (भूमि पेडनेकर) और अंतरा खन्ना (रकुल प्रीत सिंह) की कहानी को दिखाया गया है। अंकुर और प्रबलीन शुरुआत में पति-पत्नी होते थे, लेकिन दोनों अलग हो जाते हैं। इसके बाद अर्जुन के किरदार को रकुल के किरदार से प्यार हो जाता है और दोनों डेटिंग शुरू कर देते हैं। फिर कहानी में बड़ा ट्विस्ट आता है, जब प्रबलीन को रेट्रोग्रेड एम्नेसिया नाम की बीमारी हो जाती है। इसकी वजह से उनकी याददाश्त चली जाती है और फिर प्रबलीन और अंतरा के बीच अंकुर को हासिल करने की जंग शुरू हो जाती है। यही फ़िल्म की कहानी है।

मेरे हसबैंड की बीवी की समीक्षा

ये फ़िल्म ‘पति पत्नी और वो’, ‘दे दे प्यार दे’ और ‘तू झूठी मैं मक्कार’ की कॉकटेल कही जाए तो गलत न होगा। यदि आपने तीनों देखीं हैं तो समझ लीजिए आपने ये भी देख ली। हालांकि फ़िल्म कॉमेडी है लेकिन निर्देशक कन्फ्यूज से लगे। कहानी अधपकी सी लगी। थोड़ा सा नयापन होने के साथ सबकुछ देखा दिखाया सा लगा। अर्जुन कपूर निराश करते हैं। उनके दोस्त बने हर्ष गुजराल भी प्रभाव नहीं छोड़ पाते। असल में पटकथा कमजोर है। ड्रामा खींचा हुआ लगता है। भूमि और रकुल ने वही किया है जो इससे पहले कर चुकी हैं। भूमि बिल्कुल ऐसा ही किरदार पति पत्नी और वो में कर चुकी हैं जबकि रकुल ने दे दे प्यार दे में ठीक यही रोल निभाया है। एक गीत ‘साजना’ को बादशाह ने रीमेक किया है जो अच्छा लगता है।

देखें या न देखें

हर नई फ़िल्म देखने को शौकीन हो तो देख लो वरना कुछ भी ऐसा नहीं जिसे नहीं देखोगे तो अफसोस होगा।   ⭐⭐ ~गोविन्द परिहार  (24 02.25)

 

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