21/09/2024

फ़िल्म समीक्षा: पठान

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50 साल से फिल्म बना रहे यशराज बैनर ने अपना ‘द स्पाय यूनिवर्स’ बनाया है। ‘टाइगर’ के रूप में सलमान ख़ान और कबीर के रूप में ऋतिक रोशन (वॉर) के बाद इस सूची में शाहरुख खान का किरदार ‘पठान’ (Pathaan) भी जुड़ गया है। ये तीनों भारत को बचाने की मुहिम पर जुटे हुए हैं। शाहरुख ख़ान ने अपने फैन्स को चार साल तक का लंबा इंतजार करवाया। उनकी आखिरी फिल्म ‘ज़ीरो’ 2018 में आई थी। इसके बाद शाहरुख ने अपने लिए स्क्रिप्ट ढूंढने में कड़ी मशक्कत की। फैन्स के मिजाज को समझने की जुगत लगाई और फिर किंग खान ने एक्शन जॉनर चुना। ‘पठान’ बॉलीवुड की टिपिकल मसाला फिल्म है, जिसमें एक्शन, रोमांस और देशभक्ति के साथ ही टाइगर यानी सलमान ख़ान की मजेदार मौजूदगी है।

पठान की कहानी

‘पठान’ की कहानी एक एजेंट और उसके मिशन की है जिसे देश के दुश्मन के मंसूबों पर पानी फेरना है। देश का दुश्मन है जॉन अब्राहम जो कॉन्ट्रेक्ट लेकर अपने खतरनाक मंसूबों को अंजाम देता है लेकिन इसकी राह का रोड़ा बनता है पठान यानी शाहरुख खान। इन दोनों के बीच है एक हसीना रुबीना (दीपिका पादुकोण) जो किसके साथ है? फ़िल्म में संस्पेंस रखा गया है। डायरेक्टर सिद्धार्थ आनंद ने ‘पठान’ को मसाला फिल्म बनाया है। उन्होंने इंटरनेशनल लेवल के एक्शन सीक्वेंस शूट किए हैं। शाहरुख खान का एटीट्यूड और ‘पठान’ का अंदाज फिल्म की कहानी में मौजूद खामियों को काफी हद तक छिपा देता है।

पठान की समीक्षा

कहानी बहुत ज़्यादा प्रडिक्बिल है लेकिन ऐसी फ़िल्मों की कहानी अक्सर कमजोर ही होती है क्योंकि इनका अंत सबको पहले से ही पता होता है। सबको पता होता है विलेन मरेगा, हीरो ही जीतेगा। रोचकता बस इतनी होती है कि ये सब कैसे होगा और किस तरह दिखाया जायेगा। इसमें निर्देशक काफी हद तक सफल रहे हैं क्योंकि सिद्धार्थ आनंद स्टाइलिश और आंखों को सुकून देने वाले सिनेमा बनाते हैं। उनकी फिल्मों के एक्शन सीन में आधुनिकता का पुट रहता है और हीरो-हीरोइन को बहुत ही ग्लैमरस तरीके से वे पेश करते हैं। कहानी और स्क्रिप्ट के मामले में वे उतने अच्छे नहीं हैं। इंटरवल तक फिल्म तूफानी रफ्तार से चलती है और बाद में फिल्म का ग्राफ नीचे आता है जो क्लाइमैक्स में जाकर थोड़ा संभलता है। अब चूंकि पठान और जॉन पहले भी दो बार भिड चुके होते हैं तो क्लाइमैक्स भी ज्यादा रोमांच पैदा नहीं कर पाता। ये फ़िल्म की बड़ी कमी है। इंटरवल के बाद जॉन के खतरनाक इरादों का खुलासा होता है तो दर्शकों को थोड़ी निराशा ही हाथ लगती है क्योंकि ‘वायरस अटैक’ वाले फॉर्मूले अब बहुत पुराने लगते हैं और इस पर कई फिल्में भी बन चुकी है। यहां पर कहानी में कोई नई बात पेश की जाती तो फिल्म का स्तर ऊंचा उठ जाता। रॉ (भारतीय) और आईएसआई (पाकिस्तानी) एजेंट का साथ काम करना भी पुराना लगता है। मास्को में एक बड़ी चोरी को ‘पठान’ और रूबीना (दीपिका) जिस आसानी से अंजाम देते हैं वो बहुत ही साधारण लगता है। यहां पर रोमांच पैदा करने की पूरी गुंजाइश थी, लेकिन लेखक और निर्देशक थ्रिल नहीं पैदा कर पाए।

अभिनय एवं तकनीकी पक्ष

निर्देशक सिद्धार्थ आनंद का प्रस्तुतिकरण अपनी ही फ़िल्म से वॉर से मिलता जुलता है। उन्होंने कई हिट फिल्मों से मिलते-जुलते दृश्य भी रखे हैं। थोड़े-थोड़े अंतराल में एक्शन सीन रख कर उन्होंने फिल्म को गति दी है। दीपिका तो बेहद आकर्षक लगी हैं, जॉन अब्राहम और शाहरुख ख़ान भी अपनी बॉडी दिखाते नजर आए हैं। एक्शन दृश्यों में आधुनिक हथियारों के साथ कार, बाइक, हेलिकॉप्टर का शानदार इस्तेमाल है। इससे भी मन नहीं भरे तो शाहरुख और जॉन पंख लगाकर उड़ते हुए फाइट करते हैं।
शाहरुख खान ने एक्शन अवतार में आकर अपने फैंस को खुश किया है। दीपिका पादुकोण बेहद ग्लैमरस और खूबसूरत लगी हैं। उन्हें एक्टिंग, एक्शन और डांस का भरपूर मौका मिला है जिसका उन्होंने पूरा फायदा भी उठाया है। शाहरुख ख़ान के साथ उनकी जोड़ी हमेशा से ही अच्छी लगती आई है। निगेटिव किरदार में जॉन अब्राहम एक्टिंग से ज्यादा अपने लुक्स और शख्सियत से असर छोड़ते हैं। एक्शन सीन्स में वे शाहरुख पर भारी पड़े हैं। डिम्पल कपाड़िया और आशुतोष राणा का जो किरदार है, इस तरह के रोल निभाना उनके जैसे कलाकारों के लिए बेहद आसान था। सलमान ख़ान की जोरदार एंट्री और उनका छोटा सा रोल फ़िल्म का सबसे सुखद हिस्सा है।
फिल्म के दोनों गाने पहले ही फैन्स के बीच हिट हो चुके हैं लेकिन फिल्म का पूरा फोकस शाहरुख खान और स्टाइलिश एक्शन पर ही है। ‘पठान’ फिल्म से उन लोगों को जरूर निराशा हो सकती है जो ‘बायकॉट पठान’ पर काम कर रहे थे क्योंकि जिस तरह फ़िल्म ने बॉक्स ऑफ़िस पर धमाकेदार ओपनिंग ली है उससे अगली बार बॉयकॉट करने से पहले ज़रूर सोचेंगे।

देखें या न देखें

यदि आप शाहरुख खान के फैन हैं तो अवश्य देखनी चाहिये क्योंकि 4 साल बाद शाहरुख का ये अवतार देखने लायक तो है। यदि आप एक्शन, ग्लैमर, खूबसूरत लोकेशन देखना पसंद करते हैं तो भी आप फ़िल्म का मज़ा ले सकते हैं लेकिन यदि आप बेहतरीन स्पाई थ्रिलर फ़िल्मों के शौकीन है तो निराश होंगे क्योंकि फ़िल्म कहानी और थ्रिल के स्तर पर कमज़ोर है। रेटिंग- 2.5/5 ~गोविन्द परिहार (26.01.23)

 

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