21/09/2024

फ़िल्म समीक्षा: सरफिरा

3 साल पहले हिट मशीन अक्षय कुमार ने लगातार 12 हिट फिल्में दी थीं। इनमें कुछ ‘हाउसफुल 4’ जैसी घटिया फ़िल्म भी थीं लेकिन समय अच्छा था इसलिए हिट हो गयी। अक्षय की आखिरी हिट सूर्यवंशी, 2021 में रिलीज हुई थी। कोविड के बाद समय बदला, लोगों की पसन्द भी बदली। कुछ फ़िल्मों का चुनाव भी ठीक नहीं रहा। अब वक्त इतना खराब है कि उनकी अच्छी फिल्में भी नहीं चल रही हैं। चलना तो दूर की बात ओपनिंग भी नहीं लग रही। रामसेतु और मिशन रानीगंज के बाद सरफिरा के साथ भी ऐसा ही हो रहा है।

‘सरफिरा’ की कहानी

‘सरफिरा’ की कहानी महाराष्ट्र के एक गांव में शुरू होती है। यहां वीर म्हात्रे (अक्षय कुमार) नाम का एक लड़का रहता है जो कि अपने गांव में ट्रेन को रुकवाने के लिए प्रदर्शन कर रहा है। उसे क्रांति विरासत में मिली है। पिता के कई साल के संघर्षों के बाद उसके गांव में बिजली आई थी। बस दोनों लोगों की विचाधारा और विरोध करने का तरीका अलग है। पिता कलम से लड़ते थे, बेटा भुजबल से लड़ना चाहता है। वीर के साथ एक निजी त्रासदी हो जाती है जिसके बाद वो एक कम खर्चे वाली एयरलाइन शुरू करने को अपनी ज़िद बना लेता है ताकि निचले और मध्यम वर्ग वाले लोग भी हवाई जहाज़ में यात्रा कर सकें। अब उसका ये सपना कैसे पूरा होता है, कौन लोग इसमें उसकी मदद करते हैं और उसके सपने के पूरे होने में क्या बाधाएं आती हैं, ये आपको फिल्म में दिखाया जाता है।

‘सरफिरा’ की समीक्षा

सरफिरा’ तमिल फ़िल्म ‘सुराराई पोतरु’ (2020) की आधिकारिक रीमेक है। इसमें सूर्या ने लीड रोल किया था। सरफिरा में बस यही एक कमी है कि ये मूल फ़िल्म नहीं, रीमेक है वरना बहुत ही शानदार फ़िल्म हैं। मैंने ओरिजिनल भी देखी है और अब सरफिरा भी। मुझे दोनों बेहतरीन लगीं। ऐसा बहुत कम होता है जब रीमेक भी अच्छी लगे। दोनों की निर्देशक सुधा कोंगरा ही हैं और दोनों में परेश रावल ने वहीं भूमिका निभाई है। कहानी सच्ची घटना पर आधारित है जिसमें जीआर गोपीनाथ ने आम आदमी को बेहद कम पैसों में हवाई जहाज से यात्रा कराने के लिए डेक्कन एयरलाइंस की 2009 में शुरुआत की। डेक्कन एयरलाइंस को बनाने में आई मुश्किलें ही इस फ़िल्म को रोचक बनाती है। इसे इनकी बायोपिक भी कह सकते हैं जिसे इनके द्वारा लिखित पुस्तक से ही लिया गया है।

अभिनय एवं अन्य तकनीकी पक्ष

स्क्रिप्ट बहुत अच्छी है, निर्देशन कमाल का है। अक्षय कुमार ने एक बार फिर से खुद को बेहतरीन अभिनेता साबित किया है। अक्षय की पत्नी के रूप में राधिका मदान ने कमाल का काम किया है। राधिका मदान को इस बार एक बहुत दमदार किरदार मिला है जिसके साथ उन्होंने पूरा न्याय किया है। सबसे दमदार, असरदार परेश रावल लगते हैं, उन्होंने परेश गोस्वामी को इतना प्रभावी और नकारात्मक रोल किया है कि हीरो के लिए हमदर्दी होने लगती है। अक्षय के दोस्तों के रूप में के बालासुब्रमण्यम और आर शरतकुमार ने भी बढ़िया अभिनय किया है। फ़िल्म में कई छोटे गाने हैं जो कहानी को आगे बढाने का काम करते हैं।
फ़िल्म बहुत ही प्रेरणादायक है। फ़िल्म में कई दृश्य हैं जिनसे प्रेरणा ली जा सकती है। अपना स्टार्टअप की सोचने वाले युवाओं को ये फ़िल्म अवश्य देखनी चाहिए। बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। कहानी दिल को छूती है, इमोशनल करती है, खुशी देती है, प्रेरणा देती है। सच कहूँ तो मुझे ओरिजनल से भी बेहतर ‘सरफिरा’ लगी क्योंकि इसमें अक्षय और राधिका की कैमस्ट्री बेहतर दिखी। अच्छी लगने की एक वजह हिन्दी में बनना भी हो सकता है क्योंकि वो तमिल में बनी थी जिसका हिंदी डब वर्जन देखने को मिला था।

देखें या न देखें

यदि आपने मूल फ़िल्म नहीं देखी है तो इसे अवश्य देखें।  रेटिंग⭐⭐⭐⭐ ~गोविन्द परिहार (15.07.24)
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