फ़िल्म समीक्षा: शैतान
1 min readकाला जादू, टोना-टोटका, वशीकरण, असुरी शक्तियां, ये सब हमेशा से बहस के विषय रहे हैं। इनका कोई प्रमाण नहीं है। पढ़े-लिखे लोग इसे अंधविश्वास मानते हैं, लेकिन शायद ही कोई परिवार होगा, जिसने अपने बच्चों की नजर नहीं उतारी होगी। अजय देवगन की नई फिल्म का ‘शैतान’ कहता है कि जरूरी नहीं कि जो दिखता नहीं है, वो होता भी नहीं है। फिल्म का केंद्र यही काला जादू है जो एकाएक एक हंसते-खेलते परिवार की जिंदगी में भूचाल ला देता है। बॉलीवुड में हॉरर फिल्मों का जॉनर बहुत ही पीछे रहा है। इस जॉनर में बनी फ़िल्में भी बहुत कम और साधारण रही हैं। जबकि ये जॉनर पब्लिक को बहुत पसंद है। गुजराती फ़िल्म ‘वश’ का हिंदी वर्जन ‘शैतान’ इस कड़ी में मील का पत्थर साबित हो सकती है। फ़िल्म ‘शैतान’ की कहानी एकदम सरल है जो ट्रेलर से ही समझ आ गयी थी।
Table of Contents
‘शैतान’ की कहानी
‘शैतान’ की समीक्षा
अभिनय एवं अन्य तकनीकी पक्ष
चिल्लर पार्टी, क्वीन, शानदार, सुपर 30 जैसी फिल्मों का निर्देशन कर चुके विकास बहल ने पहली बार सुपरनेचुरल थ्रिलर जानर में हाथ आजमाया है। उन्होंने शहर से दूर स्थित हाउस को घने जंगल और मानसून में कहानी को अच्छे से सेट किया है। मध्यांतर से पहले फिल्म का ज्यादातर हिस्सा वशीकरण दिखाने में गया है। वनराज जैसे कहता है, जानवी उसका पालन करती है। यहां तक कि अपने भाई का सिर फोड़ देती है। पिता को थप्पड़ मार देती है। अपनी नेकर की जिप भी खोल देती है। यह उसकी ताकत से परिचित करवाती है। जानकी बोदीवाला गुजराती फिल्म ‘वश’ में भी इस किरदार के लिए खूब तारीफ बटोर चुकी हैं। वहीं, माधवन ने फिर दिखाया है कि वे कितने उम्दा कलाकार हैं। अजय देवगन और ज्योतिका ने भी एक बेबस मां-बाप की लाचारी को अपनी आंखों से बखूबी उतारा है। हालांकि, अजय देवगन के कद के हिसाब से दर्शक उनके हिस्से में कुछ और मजबूत सीन की उम्मीद करते हैं। तकनीकी रूप से फिल्म मजबूत है। सुधाकर रेड्डी और एकांती की सिनेमटोग्राफी, अमित त्रिवेदी का म्यूजिक और संदीप फ्रांसिस की चुस्त एडिटिंग आपका ध्यान भटकने नहीं देता।