फ़िल्म समीक्षा: सिंघम अगेन
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ट्रैलर देखकर जो अहसास हुआ था ठीक वैसा ही हुआ। मैं एक्शन फ़िल्में देखना अधिक पसन्द नहीं करता लेकिन रोहित शेट्टी की पहली सिंघम मुझे अच्छी लगी थी। दूसरा पार्ट सिंघम रिटर्न्स नहीं देखी और न देखने का मन है। तीसरे पार्ट के ट्रैलर में जब कहानी को रामायण के दृष्टिकोण से दिखाने की कोशिश दिखी तो फ़िल्म देखने की इच्छा थी लेकिन देखकर निराशा हुई।
सिंघम अगेन की कहानी
सिंघम अगेन की समीक्षा
फ़िल्म की पटकथा बहुत कमज़ोर है। हर 10 मिनट पर किसी न किसी की एंट्री हो रही है जो सीन को बेवजह लम्बा कर रही है। अर्जुन कपूर के कुछ दृश्यों के अलावा सब साधारण लगे हैं। कहानी में इमोशन न हो तो एक्शन फिजूल लगता है। यही इस फ़िल्म की कमी है। फ़िल्म में देशभक्ति और केंद्र सरकार के तारीफ में जबरदस्त संवाद बोले गए हैं लेकिन कहानी में थ्रिल नहीं हैं इसलिए असर नहीं छोड़ पाए। सस्पेंस हो नहीं सकता क्योंकि कहानी रामायण से जोड़ दी है। गाने भी नहीं है, रोमांस भी नहीं है सिर्फ एक्शन ही एक्शन है। जबरदस्त एक्शन के वाबजूद फ़िल्म का क्लाइमेक्स बहुत कमज़ोर है।
देखें या न देखें
इतनी बुराई के बाद कुछ अच्छी बातें- सिनेमेटोग्राफी और सुपरस्टार की फौज। फ़िल्म की सिनेमेटोग्राफी बहुत अच्छी है। फ़िल्म बहुत बड़े स्केल पर शूट की गई है। पानी की तरह पैसा बहाया है। दृश्य बहुत ही सुंदर लगे हैं। एक्शन भी अच्छा है। अक्षय और रणवीर फ़िल्म में कॉमेडी भी लाते हैं। फ़िल्म में इतने सितारे हैं कि कहानी को छोड़कर इन्हें देखें तो फ़िल्म टाइमपास तो लगेगी ही। जिन्हें एक्शन में उड़ती कारें और हैलीकॉप्टर बाजी पसन्द है, उन्हें अच्छी लग सकती है। हालाँकि अजय देवगन का काम भी सर्वश्रेष्ठ नहीं लेकिन उनके फैन्स एक बार जरूर देख सकते हैं। 
~गोविन्द परिहार (02.11.24)

