
तीसरी मंज़िल / Teesri Manzil (1966)
शैली- कॉमेडी–म्यूजिकल-मिस्ट्री (2 घंटे 52 मिनट) रिलीज- 21 अक्टूबर1966
निर्माता- नासिर हुसैन निर्देशक- विजय आनन्द
लेखक- नासिर हुसैन
गीतकार- मजरूह सुल्तानपुरी संगीतकार- राहुल देव बर्मन
संपादन– विजय आनन्द सिनेमैटोग्राफ़ी– एन श्रीनिवास
मुख्य कलाकार
- शम्मी कपूर – अनिल कुमार/रॉकी
- आशा पारेख – सुनिता
- प्रेम चोपड़ा – रमेश
- हेलन – रूबी
- सबीना – रूपा
- लक्ष्मी छाया – मीना
- राज मेहरा– सुनिता के पिता
- प्रेमनाथ – कुँवर साहब
- इफ़्तेख़ार – पुलिस इंस्पेक्टर
कथावस्तु
एक लड़की रूपा (सबीना) का ‘तीसरी मंज़िल’ से गिरकर खून हो जाता है। जांच-पड़ताल में पुलिस का शक उसके मित्र अनिल (शम्मी कपूर) पर जाता है लेकिन अनिल को रूपा के मंगेतर रमेश (प्रेम चोपड़ा) पर संदेह होता है क्योंकि उसका रूपा से झगड़ा हुआ होता है। पुलिस को सुराग में एक कीमती कोट का बटन मिलता है जो संभवत: कातिल का है। रूपा की बहिन सुनीता (आशा पारेख) इस कातिल को हर हाल में पकड़ना चाहती है।
गीत-संगीत
तीसरी मंज़िल को संगीत से सजाया है राहुल देव बर्मन ने और सभी गीतों के लेखक मजरुह सुल्तानपुरी हैं।
- “आ जा आ जा मैं हूँ प्यार तेरा” (आशा भोंसले, मोहम्मद रफ़ी) 6:05 मिनट
- “देखिये साहिबों वो कोई और थी” (आशा भोंसले, मोहम्मद रफ़ी) 5:24 मिनट
- “दीवाना मुझ सा नहीं इस अम्बर के नीचे” (मोहम्मद रफी) 3:22 मिनट
- “ओ हसीना ज़ुल्फ़ों वाली जानेजहाँ” (मोहम्मद रफी, आशा भोंसले) 6:55 मिनट
- “ओ मेरे सोना रे सोना रे सोना रे” (आशा भोंसले, मोहम्मद रफ़ी) 5:00 मिनट
- “तुम ने मुझे देखा, हो कर मेहर्बां” (मोहम्मद रफी) 4:04 मिनट
रोचक तथ्य
- फ़िल्म की शूटिंग के दौरान शम्मी कपूर की पत्नी गीता बाली का निधन हो गया था जिस कारण इसकी शूटिंग 3 महीने तक रुकी रही।
- मशहूर फिल्म लेखक सलीम ख़ान ने भी इसमें छोटा-सा अभिनय किया है।
- इसके संगीत की भी बहुत प्रशंसा हुई जिसकी झलक आज भी कई म्यूजिक एलबम में दिखाई पड़ती है।