पिता-पुत्र के रिश्ते पर आधारित बॉलीवुड की टॉप-10 फ़िल्में
1 min readपिता-पुत्र के रिश्ते पर आधारित टॉप 10 बॉलीवुड फ़िल्म / Top 10 Bollywood Films Based on Father Son Relationship
बॉलीवुड के फिल्मकारों ने अपनी फिल्मों में पिता के किरदार को प्रभावशाली ढंग से कम ही पेश किया है लेकिन जब-जब पिता का दमदार किरदार सिल्वर स्क्रीन पर नजर आया है उसे दर्शकों की भरपूर सराहना मिली है। समय-समय पर बॉलीवुड की कई फिल्मों में पिता के प्रभावशाली किरदार को रूपहले पर्दे पर पेश किया गया है। बॉलीवुड की सफलता का सबसे बड़ा कारण ही फैमिली ड्रामा पर बनने वाली फिल्में रही हैं क्योंकि भारत में परिवार और उसके मूल्यों को विशेष महत्व दिया जाता है। गुजरते समय के साथ बॉलीवुड में बनने वाली कई फिल्मों में प्रगतिशील पिता और परिवार में होने वाले झगड़ों से जुड़ी फिल्मों को देखा है। बॉलीवुड इतिहास में झांके तो वर्ष 1951 में प्रदर्शित फिल्म ‘आवारा’ (Awaara) में पृथ्वीराज कपूर (Prithivraj Kapoor) ने पिता का रौबदार किरदार निभाया था। इस फिल्म में उन्होंने अपने वास्तविक पुत्र राजकपूर (Raj Kapoor) के पिता की भूमिका निभाई थी। पिता-पुत्र के आपसी द्वंद को प्रदर्शित करती फिल्म ‘आवारा’ में इन दोनों दिग्गज कलाकारों ने अपने अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया था। बॉलीवुड की फिल्मों में सदी के महानायक अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) पिता के प्रभावशाली किरदार निभाने में महारत हासिल हैं। अमिताभ बच्चन ने पिता और पुत्र दोनों की तरह भूमिका अलग अलग फ़िल्मों में कई बार बेहतरीन तरीके से निभाई है। हम यहाँ ऐसी ही टॉप-10 फिल्मों के बारे में बता रहे हैं जो पिता-पुत्र के आपसी संबंधों को दिखाती हैं।
10. अकेले हम अकेले तुम / Akele Hum Akele Tum (1995)
मंसूर खान द्वारा निर्देशित वर्ष 1995 में आई ‘अकेले हम अकेले तुम’ असल में क्रेमर वर्सेस क्रेमर (Kramer vs Kramer) की रीमेक थी। इस फिल्म में आमिर ख़ान को सिंगल पैरेंट के तौर पर दिखाया गया था। इस फिल्म में आमिर के साथ मनीषा कोइराला और परेश रावल ने भी काम किया था। माता के बिना पिता अपने पुत्र का पालन पोषण कैसे करता है, यही इस फ़िल्म में दिखाया गया है। फ़िल्म बॉक्स ऑफ़िस पर सफल नहीं हो पायी थी लेकिन फ़िल्म का संगीत बहुत हिट हुआ था जो आज भी सुना जाता है। इस फ़िल्म के बाद आमिर और मनीषा के अभिनय के काफी तारीफ हुई थी।
9. पा / Paa (2009)
फिल्म ‘पा’ एक ऐसे बच्चे की कहानी है जिसकी उम्र 13 साल है और जिसे प्रोजेरिया नाम की बीमारी हो जाती है। इस बीमारी में व्यक्ति बहुत तेजी से बूढ़ा होने लगता है। साल 2009 में आई इस फिल्म में मेगास्टार अमिताभ बच्चन ने अपने बेटे अभिषेक बच्चन के बेटे का किरदार शानदार तरीके से निभाया था। इस फिल्म की हर तरफ खूब तारीफ भी हुई थी। यह फिल्म 1996 की हॉलीवुड फिल्म ‘जैक’ (Jack) से प्रेरित है। फिल्म के लेखक और निर्देशक आर. बाल्की हैं जिन्होंने ‘चीनी कम’ (Cheeni Kum) से अपने कॅरियर की शुरुआत की थी। अमिताभ बच्चन को उनके बेहतरीन अभिनय के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का तीसरा नेशनल अवार्ड मिला और अमिताभ की मां की भूमिका निभाने वाली अभिनेत्री विद्या बालन को उनका पहला फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार मिला।
8. गांधी, माय फ़ादर / Gandhi, My Father (2007)
अनिल कपूर द्वारा निर्मित ये फ़िल्म यदि आपने अब तक नहीं देखी है तो कम से कम ये जानने के लिए ज़रूर देखिए कि जो इंसान एक पूरे देश का राष्ट्रपिता कहलाया, वह अपने सबसे बड़े बेटे की नज़र में ही अच्छा पिता क्यों नहीं बन सका। महात्मा गांधी ने पूरा देश कमा लिया लेकिन अपने बेटे के दिल में अपने लिए प्यार नहीं कमा पाए, क्यों भला? और, यहां तक कि उसे मुसलमान बनने से भी नहीं रोक पाए। महात्मा गांधी का इस फिल्म में संवाद है, “जानते हो मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी हार क्या है? दो ऐसे इंसान जिन्हें मैं जिंदगी भर अपनी बात नहीं समझा पाया। एक मेरा काठियावाड़ी दोस्त मोहम्मद अली जिन्ना और दूसरा मेरा अपना बेटा हरी लाल। हरी लाल गांधी।” निर्देशक फ़िरोज़ अब्बास ख़ान ने ये बेहतरीन फिल्म बनाई है। उन्होंने उस दौर को जीवंत कर दिया है। जिन लोगों को शिकायत रहती है कि अब अच्छी फिल्में नहीं बनती हैं, उनकी शिकायत इस फिल्म को देखने के बाद दूर होती है। फिल्म में अक्षय खन्ना, दर्शन जरीवाला और भूमिका चावला मुख्य भूमिका में नज़र आये। इस फ़िल्म को 3 नेशनल अवार्ड तो मिले लेकिन दर्शकों का प्यार न मिल सका।
7. 102 नॉट आउट / 102 Not Out (2018)
फिल्म की कहानी साधारण है, लेकिन जो बात उसे अनोखी बनाती है वो हैं इसके किरदार। 102 वर्ष का बाप है और उसका 75 वर्षीय बेटा। शायद ही पहले ऐसे किरदार हिंदी फिल्म में देखे गए हों। पिता तो कूल है, लेकिन बेटा ओल्ड स्कूल है। मुंबई में 102 साल के दत्तात्रय वखारिया (अमिताभ बच्चन) और उनके 75 साल के बेटे बाबूलाल (ऋषि कपूर) रहते हैं। दत्तात्रय के लिए उम्र सिर्फ एक नंबर है और वो जिंदगी को खुल कर जीने में विश्वास रखते हैं। वहीं दूसरी तरफ उनका बेटा बाबूलाल हर वक्त अपनी सेहत की चिंता में रहता है, हर मौके को खतरा समझता है। जिसके चलते जिंदगी ठीक से नहीं जी पा रहा। बाप-बेटे खूब झगड़ते हैं लेकिन दोनों के बीच में बेहद प्यार भी होता है। निर्देशक उमेश शुक्ला की ये फिल्म हर उम्र के दर्शक को बिना बोर किये, शानदार संदेश देती है। फिल्म मशहूर गुजराती नाटक ‘102 नॉट आउट’ से ली गई है। इसके लेखक सौम्य जोशी हैं जिनका अपना ही अलग तरीका है। फ़िल्म ने बॉक्स ऑफ़िस पर भी अच्छी सफलता पाई थी।
6. सरकार / Sarkar (2005)
साल 2005 में आई ये फिल्म असल में हॉलीवुड फ़िल्म द गॉडफादर (The Godfather) का इंडियन वर्जन कही जा सकती है। राम गोपाल वर्मा के निर्देशन में बनी यह फिल्म 2005 में रिलीज हुई थी। इस फिल्म में अमिताभ ने सुभाष नागले का किरदार निभाया था, जो कि शिवसेना सुप्रीमो बाला साहब ठाकरे से प्रभावित था। उनके अलावा इस फिल्म में अभिषेक बच्चन, केके मेनन, कैटरीना कैफ़, इशरत अली, अनुपम खेर, सुप्रिया पाठक और तनीषा मुखर्जी प्रमुख रोल में नजर आई थीं। इस फ़िल्म में अमिताभ के अभिनय के सभी लोग कायल हो गए। सरकार का तेलुगू में राउडी के नाम से रीमेक भी बना है। बाद में इसके सीक्वल 2008 में ‘सरकार राज’ और 2017 में ‘सरकार 3’ भी बनी लेकिन वैसी सफलता नहीं मिली।
5. शराबी / Sharaabi (1984)
4. उड़ान / Udaan (2010)
साल 2010 में आई विक्रमादित्य मोटवानी की इस फिल्म को न्यू सिनेमा का सशक्त प्रयोग माना जाता है। इस फिल्म में एक टीनेज लड़के और उसके सख्त पिता के बीच रिश्तों की कहानी दिखाई गई है। इस फिल्म को साल 2010 के कान्स फिल्म फेस्टिवल के लिए आधिकारिक तौर पर चुना गया था। इस फ़िल्म में पिता पुत्र के कटु रिश्ते को दिखाया गया है जो वास्तविक होने के साथ हमें सोचने पर विवश करता है। इस फ़िल्म को सिनेमा से संबंधित लगभग प्रत्येक फ़िल्म पुरस्कार समारोह में सराहा गया है तथा अनेकों जगह से सम्मानित किया गया है। इस फ़िल्म में रोनित रॉय, रजत बरमेचा, राम कपूर, मनोज सिंह और आनन्द तिवारी ने मुख्य भूमिका निभाई है।
3. मासूम / Masoom (1983)
ये फिल्म हॉलीवुड में बनी एरिक सीगल की फिल्म ‘मैन वीमन एंड चाइल्ड’ से प्रेरित है। इस फिल्म में एक आदमी और उसके नाजायज बेटे के बीच संबंधों को दिखाया गया है। इस फिल्म में शबाना आजमी और नसीरुद्दीन शाह मुख्य भूमिकाओं में है। इस फ़िल्म का निर्देशन शेखर कपूर ने किया है। इसमें जुगल हंसराज, अराधना और उर्मिला मातोंडकर बाल कलाकार हैं। पटकथा, संवाद और गीत गुलज़ार द्वारा लिखे गए जबकि संगीत राहुल देव बर्मन द्वारा दिया गया। इस फ़िल्म ने 5 फ़िल्मफेयर पुरस्कार अपनी झोली में डाले हैं। यह फिल्म बाद में तेलुगू में ‘इललु प्रियालुरु’ नाम से रीमेक भी की गयी है।
2. शक्ति / Shakti (1982)
हिंदी फिल्मों के इतिहास में यह दूसरी बार हुआ था जब बुजुर्ग होती पीढ़ी का पसंदीदा नायक और युवा पीढ़ी का लोकप्रिय नायक एक साथ नजर आये थे। दिलीप कुमार और अमिताभ बच्चन इस फिल्म में पहली और आख़िरी बार साथ काम कर रहे थे। पहली बार इसी तरह का संयोग ‘मुग़ल-ए-आजम’ में बना था जब पृथ्वीराज कपूर और दिलीप कुमार पिता पुत्र के रूप में आमने सामने आये थे। साल 1982 में आई इस क्राइम ड्रामा फिल्म का निर्देशन रमेश सिप्पी ने किया था। इस फिल्म की कहानी एक पुलिस अफसर के अपराधी बेटे के आसपास घूमती है। इस फिल्म में दोनों के संबंधों को बहुत ही खूबसूरती से दिखाया गया है। फिल्म में स्मिता पाटिल और अमरीश पुरी की भी प्रभावशाली भूमिका है। साथ में उल्लेखनीय है अनिल कपूर का छोटा सा रोल जिसमें वे अमिताभ बच्चन के पुत्र के रूप में दिलीप कुमार के साथ स्क्रीन शेयर करते नजर आये थे। तब तक अनिल कपूर की कोई भी हिंदी फिल्म बतौर नायक नहीं आई थी। पिता पुत्र संबंधों पर अनेकों फिल्में बनी हैं परंतु इस फिल्म में उनके बीच भावनाओं की तीव्रता बखूबी महसूस की जा सकती है। बॉक्स ऑफिस पर ‘शक्ति’ का प्रदर्शन उम्मीद भरा नहीं था लेकिन फ़िल्म आलोचकों से इसे काफी सराहना मिली थी। यह बात फिल्मफेयर अवार्ड्स में भी नज़र आयी। ‘शक्ति’ ने 4 अवार्ड अपने नाम किये। सर्वश्रेष्ठ फिल्म, बेस्ट साउंड एडिटिंग, सर्वश्रेष्ठ अभिनेता (दिलीप कुमार) और बेस्ट स्क्रीनप्ले।
1. मुग़ल-ए-आज़म / Mughal-e-Azam (1960)
साल 1960 में बनी ये फिल्म दरबार में नाचने वाली डांसर के प्यार में पागल राजकुमार और पिता के बीच के संघर्ष को दिखाती है। इसमें पृथ्वीराज कपूर, दिलीप कुमार और मधुबाला ने काम किया था। सम्राट अकबर (पृथ्वीराज) अपने पुत्र सलीम (दिलीप कुमार) के मधुबाला से प्रेम रिश्ते को अस्वीकार कर देते हैं, जिससे पिता और पुत्र के बीच युद्ध होता है। यह फ़िल्म हिन्दी सिनेमा इतिहास की सफलतम फ़िल्मों में से है। इसे के आसिफ़ (K. Asif) के शानदार निर्देशन, भव्य सेटों, बेहतरीन संगीत के लिये आज भी याद किया जाता है। 5 अगस्त 1960 को रिलीज़ होने के बाद, इसने भारत में बॉक्स ऑफिस के सभी रिकॉर्ड तोड़े और आगामी 15 वर्षों तक सबसे अधिक कमाई वाली भारतीय फिल्म बन गई। फिल्म को दी गई प्रशंसा में 1 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और 3 फिल्मफेयर पुरस्कार भी शामिल हैं। ‘मुग़ल-ए-आज़म’ को डिजिटल रूप से रंगीन होने वाली पहली ब्लैक एंड व्हाइट होने का गौरव भी प्राप्त है। साथ ही यह किसी भी भाषा में पहली फिल्म थी जिसे फिर से रिलीज किया गया था। नवंबर 2004 में जारी कलर वर्जन भी व्यावसायिक रूप से सफल रहा।
टॉप 10 के अलावा पिता-पुत्र के रिश्ते पर आधारित अन्य बेहतरीन फ़िल्में…
वेक अप सिड (2009), वक़्त- द रेस अगेंस्ट टाइम (2005), लावारिस (1981), कभी ख़ुशी कभी ग़म (2001), विरुद्ध (2005), डियर डैड (2016), रुख (2017), अपने (2007), सूर्यवंशम (1999), मदारी (2016), पटियाला हाउस (2011), एक रिश्ता: द बॉन्ड ऑफ़ लव (2001) आदि।