अजय देवगन की टॉप 10 फ़िल्में
1 min readअजय देवगन की टॉप-10 फ़िल्में / Top 10 Films of Ajay Devgn
बॉलीवुड के सिंघम यानी अजय देवगन (Ajay Devgn) हिंदी फिल्मों के मशहूर अभिनेता, निर्देशक और निर्माता हैं। इनके परिवार का बॉलीवुड से बहुत की करीबी का रिश्ता रहा है। अजय देवगन के पिता, वीरू देवगन एक स्टंट कोरियोग्राफर और एक्शन-फिल्म निर्देशक हैं। तो वहीं उनकी माँ वीणा, फिल्म निर्माता हैं। उनके भाई, अनिल देवगन भी एक फिल्म निर्माता और पटकथा लेखक हैं। इनकी पत्नी मशहूर अभिनेत्री काजोल हैं। अजय देवगन ने अपने फिल्मी करियर की शुरूआत ‘फूल और कांटे’ (1991) से की थी। यह फिल्म उस समय सुपरहिट रही थी। इस फिल्म में दो मोटरसाइकिलों पर पैर रखकर उनके द्वारा किया गया स्टंट आज भी चर्चा का विषय रहता है। इस फिल्म में किये उनके अभिनय के लिये फिल्म फेयर का ‘बेस्ट मेल डेब्यू’ का अवार्ड भी मिला था। फूल और कांटे के बाद अजय देवगन ने जिगर (1992), संग्राम (1993), विजयपथ (1994), दिलवाले (1994), सुहाग (1994), नाज़ायज़ (1995), दिलजले (1996) और इश्क (1997) जैसी सफल फ़िल्मों में अभिनय किया। 1998 में, उन्होंने महेश भट्ट की ज़ख्म में अभिनय किया और जिसके लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पहला राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला। 1999 में, अजय देवगन की सबसे चर्चित फिल्म ‘हम दिल दे चुके सनम’ रिलीज़ हुई जिसमें उन्होंने वनराज का ऐसा किरदार निभाया जो अपनी पत्नी को उसके प्रेमी के साथ मिलाने की कोशिश करता है। इस फिल्म से भी उन्होंने खूब सुर्खियां बटोरी। इंड्स्ट्री के कई फ़िल्म समीक्षक मानते हैं कि अजय देवगन अपनी आंखों से ही सारा अभिनय कर देते हैं। यही कारण है कि अजय देवगन ने कई ऐसी फिल्में दी हैं जिन्होंने दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया है। अजय देवगन को अब तक कुल 32 पुरस्कार मिल चुके हैं, जिनमें दो राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, तीन फिल्मफेयर अवार्ड, एक जी सिने अवार्ड, स्क्रीन अवार्ड्स और स्टारडस्ट अवार्ड शामिल हैं। अभिनय पुरस्कारों के अलावा, अजय देवगन को बॉलीवुड में अचीवमेंट के लिए राजीव गांधी अवार्ड्स, ईटीसी बॉलीवुड बिजनेस अवार्ड्स में 2010 के सबसे लाभदायक सेलिब्रिटी, एनडीटीवी एक्टर ऑफ़ द ईयर और भारत सरकार द्वारा पद्मश्री सम्मान से भी नवाजा गया है। आईये दर्शक और समीक्षकों की पसंद के अनुसार अजय देवगन की टॉप-10 फ़िल्मों के बारे में जानते हैं।
10. प्यार तो होना ही था / Pyaar To Hona Hi Tha (1998)
शैली– रोमांस-ड्रामा-कॉमेडी निर्देशक– अनीस बज़्मी
मुख्य कलाकार- अजय देवगन, काजोल, ओम पुरी, रीमा लागू, बिजय आनन्द, कश्मीरा शाह आदि
विशेष नोट- यह फ़िल्म बॉलीवुड की बेहतरीन रोम-कॉम फ़िल्मों में शामिल है। ‘प्यार तो होना ही था’ 1995 में आयी हॉलीवुड की फिल्म ‘फ्रेंच किस’ की आधिकारिक रीमेक है। फ्रांस में रहने वाली संजना (काजोल) अपने मंगेतर का दिल जीतने के लिए भारत वापस आने का फैसला करती है, लेकिन फ़्लाइट में यात्रा के दौरान उसकी मुलाकात पेरिस से हीरा चोरी करके लौट रहे शेखर (अजय देवगन) से हो जाती है। पुलिस से बचने के लिए शेखर हीरे को अंजान संजना के बैग में छुपा देता है और फिर शुरु होती मजेदार कहानी। इस फ़िल्म के गीत बहुत ज्यादा हिट हुए। आज है सगाई, सुन लड़की के भाई... आज भी शादी-समारोह में सुना जा सकता है। इस फ़िल्म के साथ अजय देवगन ने अपनी एक्शन छवि को रोमांटिक हीरो में बदला है।
9. रेड / Raid (2018)
शैली– एक्शन-क्राइम-ड्रामा निर्देशक– राज कुमार गुप्ता
मुख्य कलाकार- अजय देवगन, इलियाना डिक्रूज, सौरभ शुक्ला, अमित सियाल, शीबा चड्डा, गायत्री अय्यर आदि
विशेष नोट- यह फिल्म 1980 के दशक में एक साहसी और ईमानदार भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी के नेतृत्व में आयकर विभाग के अधिकारियों द्वारा किए गए वास्तविक जीवन आयकर छापे से प्रेरित है। ऐसा बताया जाता है कि ये फिल्म लखनऊ के इनकम टैक्स कमिश्नर शारदा प्रसाद पांडे की कहानी पर आधारित है, जिन्होंने इतिहास की सबसे लम्बी टैक्स रेड डाली थी जो कि 18 घंटे चली थी। ये जानकर आपको यकीन नहीं होगा कि इस रेड में 90 ऑफिसर थे और सिर्फ नोट गिनने के लिए ही 45 लोगों को रखा गया था। यह रेड एक राजनीतिक पार्टी के विधायक के कानपुर वाले घर पर डाली गई थी। कहा जाता है कि इस रेड में 1.6 करोड़ रुपए बरामद हुए थे और सब कुछ शांति से निपट गया था। लेकिन इसका ये मतलब बिल्कुल भी नहीं कि इस रेड में रिस्क नहीं था। बल्कि फ़िल्म में असल जिंदगी की कुछ रेड्स के दौरान हुए खतरनाक हमलों को भी शामिल किया गया है। ‘रेड’ फिल्म के एक गाने ‘ब्लैक जमा है’ में पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की एक झलक भी देखने को मिलती है। अजय देवगन अपनी ईमानदारी के लिए जाने वाले आयकर अधिकारी अमय पटनायक की भूमिका में हैं। इलियाना उनकी पत्नी की भूमिका में है। सौरभ शुक्ला ने उस राजनेता का किरदार किया है जिसके घर में रेड डाली जाती है। यह फिल्म अजय देवगन और सौरभ शुक्ला के बीच अपने बेहतरीन स्टैंड-ऑफ दृश्यों के लिए जानी जाती है।
8. सिंघम / Singham (2011)
शैली– एक्शन-ड्रामा निर्देशक– रोहित शेट्टी
मुख्य कलाकार- अजय देवगन, काजल अग्रवाल, प्रकाश राज, सोनाली कुलकर्णी, सचिन खेडेकर, गोविन्द नामदेव आदि
विशेष नोट- ‘सिंघम‘ मूलत : तमिल फिल्म सिंघम की रीमेक है। फिल्म में अजय देवगन एक पुलिस ऑफिसर की भूमिका में हैं जिसका नाम बाजीराव सिंघम (अजय देवगन) है। बाजीराव सिंघम एक ईमानदार पुलिस इंसपेक्टर है जिसकी वजह से लोग उसे सम्मान की नजरों से देखते हैं। गरीबों की मदद करना और समाज में फैली गंदगी को मिटाने के उसके अपने फंडे हैं। लेकिन उसकी ईमानदारी से तंग आकर उसका तबादला गोवा कर दिया जाता है जहां एक भ्रष्ट नेता जयकांत शिक्रे (प्रकाश राज) का राज चलता है। राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ वह एक बड़ा अपराधी है। ‘जिसमें है दम वो है फक्त बाजीराव सिंघम’ तथा ‘कुत्तों का कितना ही बड़ा झुंड हो, उनके लिए एक शेर काफी है’, जैसे संवाद अजय देवगन के किरदार को बेहद दमदार बनाते हैं जो दर्शकों के दिल से सीधे जुड़ जाता है। बाजीराव सिंघम के सिद्धांत, ईमानदारी, गुस्से को अजय देवगन ने अपने अभिनय से धार प्रदान की है। उनके द्वारा बनाई गई बॉडी किरदार का प्लस पाइंट है। वे जब गुर्राते हैं तो लगता है कि सचमुच में एक सिंह दहाड़ रहा है। अजय देवगन के फैंस के लिए ये मूवी किसी अनूठे उपहार से कम नहीं।
7. वन्स अपॉन ए टाइम इन मुम्बई / Once Upon a Time in Mumbaai (2010)
शैली– एक्शन-क्राइम-थ्रिलर निर्देशक– मिलन लूथरिया
मुख्य कलाकार- अजय देवगन, कंगना राणावत, इमरान हाशमी, प्राची देसाई, रणदीप हुड्डा आदि
विशेष नोट- इस फिल्म की कहानी मुम्बई के डॉन हाजी मस्तान और दाउद इब्राहिम से प्रेरित है। इसकी कहानी 70 के दशक में मुंबई के अंडरवर्ल्ड के बदलते हुए चेहरे को बयां करती है। 1970 में मुंबई में तस्करी सबसे जघन्य अपराध माना जाता था। उस समय मुंबई का माफिया डॉन सुल्तान मिर्जा (हाजी मस्तान) था जो क्रूर होने के साथ-साथ दयालु भी था। फिल्म में सुल्तान मिर्ज़ा के मुंबई शहर में बढ़ते आधिपत्य और शासनकाल को दिखाया गया है। वह उन चीजों की स्मगलिंग करता है जिनकी अनुमति सरकार नहीं देती है, लेकिन उन चीजों की स्मगलिंग नहीं करता जिनकी अनुमति उसका जमीर नहीं देता है। सुल्तान मिर्ज़ा की शरण में शोएब खान (दाऊद इब्राहिम) नाम का एक युवक आता है जिसके आँखों में कुछ करने की ललक से सुल्तान बहुत खुश होकर उसे अपना करीबी बना लेता है। जिसके बाद शुरू होता है सुल्तान के पतन का सिलसिला। अजय देवगन ने बड़ी सूक्ष्मता के साथ अपने किरदार को जिया है। सफेद कपड़े पहन हाथ में सिगरेट लिए वे वाकई में सुल्तान नजर आते हैं। रॉबिनहुड की तरह उनका कैरेक्टर है, जो बुरे काम तो करता है, लेकिन दिल का भला है। अभिनय के दृष्टिकोण से देखा जाए तो अजय शिखर पर हैं और उनकी यह एक्टिंग दर्शकों के दिलों कैद हो जाती है। फ़िल्म के संवाद बहुत ही बेहतरीन लिखे गये हैं।
6. गंगाजल / Gangaajal (2003)
शैली– एक्शन-क्राइम-ड्रामा निर्देशक– प्रकाश झा
मुख्य कलाकार- अजय देवगन, ग्रेसी सिंह, मुकेश तिवारी, दया शंकर पांडे आदि
विशेष नोट- गंगाजल में अजय देवगन ने एसएसपी अमित कुमार की बेहतरीन भूमिका निभाई है। फिल्म में उन्हें एक ऐसे एरिया में ट्रांफसर कर दिया जाता है जहां पर क्राइम रेट बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। वह वहां पर जाकर क्रिमिनल्स का सफाया करते हैं। इस दौरान उन्हें कुछ करप्ट पुलिस ऑफिर और पॉलिटिशयन का सामना करना पड़ता है। यह फिल्म 2003 में रिलीज हुई थी और इसे बॉक्स ऑफिस पर बड़ी सफलता हासिल की थी। यह फ़िल्म 1980 के भागलपुर आंखफोडवा कांड पर आधारित है। इस फ़िल्म को साल 2004 में सामाजिक मुद्दों पर सर्वश्रेष्ठ फिल्म के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिला है। इसका सीक्वल जय गंगाजल (2016) भी बना जिसमें मुख्य भूमिका प्रियंका चोपड़ा ने निभाई।
5. ओमकारा / Omkara (2006)
शैली– क्राइम-ट्रेजेडी-ड्रामा निर्देशक– विशाल भारद्वाज
मुख्य कलाकार- अजय देवगन, करीना कपूर, सैफ़ अली ख़ान, विवेक ओबेरॉय, कोंकणा केन शर्मा, विपाशा बासु, नसीरुद्दीन शाह आदि
विशेष नोट- ओमकारा विलियम शेक्सपियर की कृति ‘ओथेलो’ (Othello) का आधुनिक सिनेरूपांतरण है। ‘ओमकारा’ अपने चुस्त पटकथा, बेहतरीन ड्रामा संयोजन और शीर्ष अदाकारों के साथ अजय देवगन और सैफ़ अली ख़ान की यह अब तक की सबसे उत्कृष्ट फिल्मों में गिनी गयी है। अजय देवगन ने अपने शक्ति-भरे प्रदर्शन के माध्यम से ओथेलो की निर्ममता और भेद्यता दोनों को सामने लाये और दर्शकों को अपने चरित्र के लिए तैयार किया। दुखद क्लाईमेक्स के दौरान दर्शक ओमकारा की पीड़ा को अपनी आंखों में देख सकता है। उन्होंने अपने चरित्र की प्रामाणिकता के स्तर को लाने के लिए खड़ीबोली का बेहतरीन उपयोग किया है। ओमकारा को कारा फिल्म उत्सव में 3 पुरस्कार, 3 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार एवं 7 फिल्मफेयर पुरस्कार से नवाजा गया है। इसी फ़िल्म में सैफ़ अली ख़ान ने लंगड़ा त्यागी का अविस्मरणीय किरदार निभाया है।
4. ज़ख्म / Zakhm (1998)
शैली– ड्रामा निर्देशक– महेश भट्ट
मुख्य कलाकार- अजय देवगन, नागार्जुन, सोनाली बेन्द्रे, आशुतोष राणा, पूजा भट्ट, सौरभ शुक्ला, अवतार गिल आदि
विशेष नोट- मुंबई बम धमाकों की पृष्ठभूमि पर आधारित यह बॉलीवुड की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्मों में शुमार की जाती है। अजय (अजय देवगन) एक संगीत निर्देशक की भूमिका में हैं, जिनकी माँ (पूजा भट्ट) एक मुस्लिम थीं, लेकिन एक हिंदू व्यक्ति से शादी करने के बाद एक हिंदू के रूप में रहना पसंद किया। वह एक बच्चे के रूप में उसके रहस्य को जानता है लेकिन उसकी इच्छाओं का सम्मान करता है। वर्षों बाद, अजय की माँ को दंगों में कट्टरपंथियों द्वारा जलाया जाता है जिससे वह दम तोड़ देती है। अब अजय का छोटा भाई (अक्षय आनंद) खुद एक कट्टरपंथी है और सांप्रदायिक सद्भाव के ख़िलाफ़ है। जब उसे अपनी माँ के बारे में सच्चाई पता चलती है, तो वह अपने भाई के साथ खड़े होने का फैसला करता है और अपनी माँ की इच्छा को मुस्लिम संस्कारों से दफन कर देता है। यह एक बेहद मार्मिक फिल्म है जिसमें वास्तविक जीवन की चिंताओं को दर्शाया गया है। अजय ने बड़े भाई के रूप में बेहद भावनात्मक अभिनय किया जिसके लिए पहली बार राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया। ज़ख्म ने राष्ट्रीय एकता पर सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म के लिए नरगिस दत्त पुरस्कार भी जीता है। इसने वास्तव में कुछ उचित सवाल पूछे और शांति और सद्भावना का प्रचार किया।
3. द लीजेंड ऑफ़ भगत सिंह / The Legend of Bhagat Singh (2002)
शैली– एक्शन-क्राइम-ड्रामा निर्देशक– राजकुमार संतोषी
मुख्य कलाकार- अजय देवगन, सुशांत सिंह, डी संतोष, अखिलेन्द्र मिश्रा, राज बब्बर, फ़रीदा जलाल, अमृता राव आदि
विशेष नोट- महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह के जीवन पर बनी जीवनी फिल्मों की सूची में, केवल दो फिल्में हैं- मनोज कुमार की शहीद (1965) और अजय देवगन की ‘द लीजेंड ऑफ भगत सिंह’। इस फ़िल्म में अजय देवगन की डायलॉग डिलीवरी और उनका अभिनय काबिले-तारीफ़ है। अजय देवगन ने महान स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह की भूमिका निभाई, जबकि सुखदेव की भूमिका सुशांत सिंह ने और चंद्रशेखर आज़ाद की भूमिका अखिलेन्द्र मिश्रा ने निभाई। हमारे बहादुर स्वतंत्रता सेनानियों के जीवनी को जीवंत करने के लिए फिल्म की बहुत प्रशंसा हुई। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर असफल रही, लेकिन इसे समीक्षकों से सराहना मिली। राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में, फिल्म ने हिंदी में सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म जीती और अजय देवगन को ज़ख्म के बाद दूसरी बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार मिला। फिल्म को 48 वें फिल्मफेयर अवार्ड्स में आठ नामांकन प्राप्त हुए जिसमें उन्होंने तीन- सर्वश्रेष्ठ बैकग्राउंड स्कोर, सर्वश्रेष्ठ फिल्म (क्रिटिक) और सर्वश्रेष्ठ अभिनेता (क्रिटिक) जीते।
2. कंपनी / Company (2002)
शैली– एक्शन-क्राइम-ड्रामा निर्देशक– राम गोपाल वर्मा
मुख्य कलाकार- अजय देवगन, सुशांत सिंह, डी संतोष, अखिलेन्द्र मिश्रा, राज बब्बर, फ़रीदा जलाल, अमृता राव आदि
विशेष नोट- कंपनी भारतीय सिनेमा की सर्वश्रेष्ठ अपराध फिल्मों में से एक है। भारतीय फिल्मों में एक माफिया की भूमिका के लिए यदि कोई एक अभिनेता चुना जाये तो वह निसंदेह अजय देवगन ही होंगे। उन्होंने ‘वन्स अपॉन ए टाइम इन मुंबाई’ में जो किया वह ‘कंपनी’ में उनकी भूमिका का विस्तार ही था। अजय देवगन के कुछ अविस्मरणीय दृश्यों के रूप में शानदार अभिनय ने फिल्म को एक नये लेवल तक पहुंचाया। खूंखार माफिया डॉन दाऊद इब्राहिम के चरित्र से प्रेरित होकर, अजय देवगन ने मलिक की भूमिका में अपने करियर का सबसे बेहतरीन अभिनय किया है। चंदू (विवेक ओबेरॉय) एक छोटे टाइप का गुंडा है, जो इसे मलिक (अजय देवगन) के दाहिने हाथ के रूप में बड़ा बनाता है। फिल्म का केंद्रीय चरित्र, मलिक, एक माफिया नेता है, जो कंपनी के नाम से मुंबई में सबसे सफल अपराध संगठन स्थापित करता है। मलिक और चंदू कंपनी को वैश्विक ऊंचाइयों पर ले जाते हैं लेकिन कहीं न कहीं जिस तरह से उनकी दोस्ती कायम है। उनके बीच एक छोटी सी गलतफहमी बड़े पैमाने पर माफिया युद्ध में बदल जाती है। यह विवेक ओबेरॉय की डेब्यू फ़िल्म है जिसमें उन्होंने शानदार कार्य किया है।
1. दृश्यम / Drishyam (2015)
शैली– क्राइम-ड्रामा-मिस्ट्री निर्देशक– निशिकान्त कामत
मुख्य कलाकार- अजय देवगन, तब्बू, श्रेया सरन, इशिता दत्ता, रजत कपूर, कमलेश सांवत आदि
विशेष नोट- अजय देवगन ने इसमें विजय सलगांवकर नाम के एक शख्स की भूमिका निभाई है जो गोवा के एक गांव में रहता है और केबल टीवी का धंधा करता है। विजय बहुत कम पढ़ा लिखा है और फिल्में देखने का शौकीन है। उसका एक छोटा सा परिवार है- पत्नी और दो बच्चियां। एक चौथी फेल इंसान किस तरह अपने परिवार को बचाने के लिए अपनी स्मार्टनेस दिखाता है, यह फिल्म का सबसे मजबूत पक्ष है जो ड्रामे में रोमांच पैदा करता है। दृश्यम की कहानी की विशेषता यह है कि किसी बात को दर्शकों से छिपाया नहीं गया है। अपराधी सामने है और पुलिस उस तक कैसे पहुंचती है इसको लेकर रोमांच पैदा किया गया है। साथ ही व्यक्ति अपने परिवार को किसी भी मुसीबत से बचाने के लिए किस हद तक जा सकता है इस बात को भी कहानी में प्रमुखता दी गई है। ये एक अपराध कथा है लेकिन अजय देवगन ने अपना कोई `ढिशुंग ढिशुंग’ वाला अदाज नहीं दिखाया है। उन्होंने एक शांत और घरेलू पिता और पति की भूमिका निभाई है। हिन्दी में बनने से पहले ‘दृश्यम’ मलयालम में बनी और उसके बाद तमिल, तेलगु और कन्नड़ में। सभी भाषाओं में ये सफल रही है।
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