अमिताभ बच्चन की टॉप-10 फ़िल्में
1 min readअमिताभ बच्चन की टॉप-10 फ़िल्में / Top 10 Films of Amitabh Bachchan
11 अक्टूबर, 1942 को जन्मे बॉलीवुड के मेगास्टार अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) भारतीय सिनेमा के इतिहास में सबसे बड़े और प्रतिष्ठित नामों में से एक हैं। उन्हें लोग ‘सदी के महानायक’ के तौर पर भी जानते हैं और प्यार से बिग बी, शहंशाह भी कहते हैं। अमिताभ बच्चन की शुरूआत फिल्मों में वॉयस नैरेटर के तौर पर फिल्म ‘भुवन शोम’ (1969) से हुई थी लेकिन अभिनेता के तौर पर उनके करियर की शुरूआत फिल्म ‘सात हिंदुस्तानी’ (1969) से हुई। इसके बाद उन्होंने कई फिल्में कीं लेकिन वे ज्यादा सफल नहीं हो पाईं। फिल्म ‘जंजीर’ उनके करियर का टर्निंग प्वाइंट साबित हुई। इसके बाद उन्होंने लगातार हिट फिल्मों की झड़ी तो लगाई ही, इसके साथ ही साथ वे हर दर्शक वर्ग में लोकप्रिय हो गए और फिल्म इंडस्ट्री में अपने अभिनय का लोहा भी मनवाया। उन्होंने पहली बार 70 के दशक में जंजीर, दीवार और शोले जैसी फिल्मों के साथ अपनी लोकप्रियता हासिल की। यह सिनेमा का वह चरण भी था जहाँ उन्हें दर्शकों से “एंग्री यंग मैन” का खिताब मिला। बॉलीवुड के शहंशाह, स्टार ऑफ़ द मिलेनियम के रूप में पुकारे जाने वाले अमिताभ बच्चन को व्यापक रूप से भारतीय सिनेमा के साथ-साथ विश्व सिनेमा के इतिहास में सबसे महान और प्रभावशाली अभिनेताओं में से एक माना जाता है। 70 और 80 के दशक में फिल्मी सीन्स में अमिताभ बच्चन का ही आधिपत्य था। इस वजह से फ्रेंच डायरेक्टर फ़्रेन्कॉस ट्रुफे (François Truffaut) ने उन्हें ‘वन मैन इंडस्ट्री’ तक कह दिया था। अमिताभ बच्चन ने अपने करियर में कई पुरस्कार जीते हैं, जिसमें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के रूप में 4 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार शामिल हैं। उन्होंने 15 फिल्मफेयर पुरस्कार जीते हैं और फिल्मफेयर में किसी भी प्रमुख अभिनय श्रेणी में सबसे अधिक बार नामांकित (कुल 41 बार) होने वाले एकमात्र कलाकार हैं जो एक रिकॉर्ड है। आईये 50 वर्ष से अधिक के करियर में लगभग 200 फ़िल्मों में अभिनय कर चुके अमिताभ बच्चन की दर्शक और समीक्षकों की पसंद के अनुसार टॉप-10 फ़िल्मों के बारे में जानते हैं।
10. नमक हलाल / Namak Halaal (1982)
शैली– एक्शन-कॉमेडी-ड्रामा निर्देशक– प्रकाश मेहरा
मुख्य कलाकार- अमिताभ बच्चन, शशि कपूर, वहीदा रहमान, स्मिता पाटिल, परवीन बॉबी, ओमप्रकाश आदि
विशेष नोट- अर्जुन (अमिताभ बच्चन) हरियाणा का रहने वाला है जिसको उसके दादा (ओम प्रकाश) ने बहुत प्यार से पाला है। बड़ा होने पर उसके दादा के कहने पर वह नौकरी के लिए मुंबई चला जाता है। वहाँ उसकी मुलाकात राजा (शशि कपूर) से होती है। राजा एक 5 सितारा होटल का मालिक है और वह अर्जुन को नौकरी पर रख लेता है। इसमें ओमप्रकाश और अमिताभ के कई दृश्य बेहद शानदार हैं। इसमें अमिताभ की कॉमिक टाइमिंग बेहद दर्शनीय है। इस फ़िल्म के गीत बहुत ही ब्लॉकबस्टर हिट हुए थे। हमारी नजर में यह फ़िल्म अमिताभ के कैरियर की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्मों में से हैं।
9. पीकू / Piku (1975)
शैली– कॉमेडी-ड्रामा निर्देशक– शूजित सरकार
अन्य कलाकार- अमिताभ बच्चन, दीपिका पादुकोण, इरफ़ान ख़ान, मौसमी चटर्जी, जीशू सेनगुप्ता आदि
विशेष नोट- पीकू बनर्जी (दीपिका पादुकोण) दिल्ली में रहने वाली एक वास्तुकार है, जो अपने पिता भास्कर बनर्जी (अमिताभ बच्चन) से प्यार करती है, लेकिन साथ ही उसकी सनक के कारण लगातार उससे चिढ़ती रहती है। अमिताभ और दीपिका के बीच की बॉन्डिंग देखने लायक है। भास्कर कब्ज से पीड़ित है और अपने जीवन में हर चीज को अपने मल त्याग से जोड़ता है। वह अपने पुश्तैनी घर जाने के लिए कोलकाता जाना चाहता है और पीकू अनिच्छा से उसे वहां ले जाने के लिए तैयार हो जाती है। वहाँ जाने के लिए राणा चौधरी (इरफान खान) की मदद लेती है, जो एक टैक्सी व्यवसाय चलाता है। चूंकि कोई ड्राइवर उपलब्ध नहीं है, राणा ने उन्हें खुद कोलकाता ले जाने का फैसला किया। रास्ते में उन्हें कई अनहोनी का अनुभव होता है। राणा, भास्कर के सनकी तरीकों से चिढ़ जाता है, लेकिन जल्द ही बाहरी चीजों को देखना शुरू कर देता है। वह पीकू को भी पसंद करने लगता है। इरफ़ान ने दो अलग-अलग परिस्थितियों के बीच फंसे एक व्यक्ति के रूप में शानदार अभिनय किया है। अमिताभ बच्चन और दीपिका पादुकोण दोनों के साथ उनकी केमिस्ट्री भी लाजवाब है।
8. त्रिशूल / Trishul (1978)
शैली– एक्शन-ड्रामा-म्यूजिकल निर्देशक– यश चौपड़ा
मुख्य कलाकार- अमिताभ बच्चन, संजीव कुमार, शशि कपूर, राखी, हेमा मालिनी, पूनम ढिल्लन, सचिन आदि
विशेष नोट- यह फिल्म एक ऐसे व्यक्ति के बारे में थी जो अपनी मां के लिए न्याय चाहता था और ऐसा करते समय हर उचित और अन्यायपूर्ण तरीके से काम करता था। अहंकार, व्यक्तित्व के इस मुकाबले में संजीव कुमार, अमिताभ बच्चन और शशि कपूर ने इसे पीछे छोड़ दिया। यह एक रिवेंज ड्रामा था जिसमें एक ट्विस्ट था। एक युवक उस आदमी को नष्ट करना चाहता है जिसने उसकी मां को गर्भवती कर दिया और बाद में उसे धोखा दिया। उसका पूरा अस्तित्व उसी पर केंद्रित है। उसे इस बात का एहसास नहीं है कि नफरत को स्वीकार करते हुए और खुद को प्यार से नकारते हुए वह धीरे-धीरे बिखर रहा है। सौतेले भाई शशि कपूर के साथ उनकी लड़ाई के दौरान फिल्म में उबाल आता है। विडंबना यह है कि यह आमना-सामना है जो मोचन की ओर ले जाने वाली घटनाओं की एक श्रृंखला को सेट करता है। इस फ़िल्म में अमिताभ और संजीव कुमार के आपस में बहुत ही गहरे संवादों से भरे सीन पूरी फ़िल्म की कीमत वसूलने लायक है।
7. डॉन / Don (1978)
शैली– एक्शन-क्राइम-ड्रामा निर्देशक– चंद्रा बरौत
मुख्य कलाकार- अमिताभ बच्चन, जीनत अमान, प्राण, इफ़्तिख़ार, हेलन, सत्येन कप्पू आदि
विशेष नोट- डॉन को शुद्ध मसाला फ़िल्म माना जाता है, लेकिन इसमें अमिताभ का अभिनय कमाल है। अमिताभ बच्चन ने फ़िल्म में अंडरवर्ल्ड बॉस ‘डॉन’ की, और उसके हमशक्ल ‘विजय’ की दोहरी भूमिका निभाई थी। फ़िल्म की कहानी बम्बई की झुग्गियों के निवासी विजय के इर्द-गिर्द घूमती है, जो संयोग से डॉन का हमशक्ल हैं। बम्बई पुलिस के डीसीपी डी’सिल्वा, विजय से डॉन का रूप लेने को कहते हैं, ताकि वह पुलिस के मुखबिर के रूप में काम कर सके, और साथ ही डॉन के आपराधिक नेटवर्क का भंडाफोड़ करने में पुलिस की मदद कर सके। 1979 के फिल्मफेयर पुरस्कारों में डॉन के लिए कल्याणजी आनंदजी, किशोर कुमार, और आशा भोसले को क्रमशः सर्वश्रेष्ठ संगीतकार, सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक, और सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायिका के पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था। 2006 में इसका रीमेक बना जिसमें मुख्य भूमिका शाहरुख़ ख़ान ने निभाई थी। डॉन के रीमेक में इस फिल्म के 2 गीत, “ये मेरा दिल” और “खइके पान बनारस वाला” पुनः प्रयोग किये थे। अमिताभ द्वारा बोला गया डॉन का यह संवाद “डॉन का इंतज़ार तो 11 मुल्कों की पुलिस कर रही है, लेकिन सोनिया एक बात समझ लो, डॉन को पकड़ना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है” बेहद लोकप्रिय हुआ जिसे रीमेक में भी प्रयोग किया गया।
6. ज़ंजीर / Zanjeer (1973)
शैली– एक्शन-क्राइम-ड्रामा निर्देशक– प्रकाश मेहरा
मुख्य कलाकार- अमिताभ बच्चन, जया बच्चन, प्राण, ओमप्रकाश, अजीत, बिन्दु आदि
विशेष नोट- ज़ंजीर वो फ़िल्म है जिसने अमिताभ बच्चन को स्टार बनाया। ‘जंजीर’ ने बॉलीवुड को एक नए रास्ते पर स्थापित किया, क्योंकि इसने हिंदी सिनेमा की प्रवृत्ति को रोमांस की फिल्मों से लेकर क्राइम एक्शन फिल्मों में बदल दिया और अमिताभ बच्चन की नई छवि को जन्म दिया जिसे “एंग्री यंग मैन” के रूप में जाना जाता है। इस फ़िल्म के संवाद “जब तक बैठने को न कहा जाये शराफ़त से खडे रहो। ये पुलिस स्टेशन है तुम्हारे बाप का घर नहीं” ने बॉलीवुड गलियारों में तहलका मचा दिया था। “फिल्म ने बॉलीवुड में एक नई लहर शुरू की। ऐसे समय में जब भारत भ्रष्टाचार और कम आर्थिक विकास से जूझ रहा था और आम आदमी सिस्टम पर हताशा और गुस्से से नाराज था। ज़ंजीर ने हिंदी सिनेमा को एक हिंसक और आक्रामक दिशा में स्थानांतरित करना शुरू कर दिया। जनता के गुस्से को दर्शाते हुए, अमिताभ बच्चन को नए नायक के रूप में देखा गया था, जो एक ही समय में नैतिक मूल्यों को बनाए रखते हुए गलतियों से लड़ने का साहस रखते थे। इस फिल्म ने बच्चन के लिए संघर्ष की अवधि को भी समाप्त कर दिया और उन्हें एक उभरते हुए सितारे में बदल दिया। फिल्म भारत में ही नहीं, विदेशों में (सोवियत संघ), ब्लॉकबस्टर साबित हुई थी। ज़ंजीर भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक महत्वपूर्ण फिल्म है और जिसे आज भी क्लासिक माना जाता है।
5. अमर अकबर एंथनी / Amar Akbar Anthony (1977)
शैली– एक्शन-ड्रामा-कॉमेडी निर्देशक– मनमोहन देसाई
मुख्य कलाकार- अमिताभ बच्चन, विनोद खन्ना, ऋषि कपूर, नीतू सिंह, परवीन बॉबी, शबाना आज़मी, निरुपा रॉय, प्राण आदि
विशेष नोट- अमर अकबर एंथोनी एक ऐसी फिल्म थी जो तीन भाइयों के इर्द-गिर्द घूमती है जो बचपन में बिछड़ जाते हैं। उनमें से प्रत्येक पूरी तरह से अलग जीवन जीने के लिए आगे बढ़ता है। एक को हिंदू, दूसरे को मुस्लिम और तीसरे (सबसे यादगार) को ईसाई बनाया जाता है। एक बड़ा होकर एक पुलिसकर्मी होता है, दूसरा एक गायक और तीसरा देशी शराब बार का मालिक। फिल्म का अधिकांश भाग एंथोनी (अमिताभ बच्चन) पर केंद्रित है जो अपने करिश्मे और बुद्धि के साथ स्क्रीन पर रोशनी डालता है। धार्मिक सहिष्णुता के मामले में फिल्म बॉलीवुड की मसाला फिल्मों में एक मील का पत्थर बन गई। इसके आकर्षक गीतों, वन-लाइनर्स और अमिताभ बच्चन द्वारा निभाए गए एंथोनी गोंसाल्विस के चरित्र के साथ पॉप संस्कृति पर भी इसका स्थायी प्रभाव पड़ा। इसने 25वें फिल्मफेयर अवार्ड्स में कई पुरस्कार जीते जिनमें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता, सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक और सर्वश्रेष्ठ संपादन शामिल हैं। इसे तमिल में ‘शंकर सलीम साइमन’ के रूप में, तेलुगु में ‘राम रॉबर्ट रहीम’ के रूप में और मलयालम में ‘जॉन जाफर जनार्दन’ के रूप में रीमेक किया गया।
4. पा / Paa (2009)
शैली– कॉमेडी-ड्रामा निर्देशक– आर. बाल्की
मुख्य कलाकार- अमिताभ बच्चन, विद्या बालन, अभिषेक बच्चन, परेश रावल, अरुंधति नाग आदि
विशेष नोट- ‘पा’ एक दुर्लभ आनुवंशिक स्थिति पर आधारित है जिसे प्रोजेरिया के रूप में जाना जाता है और पिता-पुत्र के संबंध पर जोर देती है। अमिताभ बच्चन और अभिषेक बच्चन, वास्तविक जीवन में, क्रमशः पिता और पुत्र हैं, लेकिन फ़िल्म ‘पा’ में उन्होंने विपरीत भूमिकाएँ निभाईं। दिग्गज संगीतकार इलैया राजा ने संगीत दिया था। फिल्म को भारत में समीक्षकों द्वारा सराहा गया और बॉक्स ऑफिस पर अच्छी कमाई की। पा में अनेक क्षण ऐसे हैं जो आपके दिल को छूते हैं, जो आपको हंसाते हैं, जो आपको खुश करते हैं और इसका सबसे अधिक श्रेय अमिताभ बच्चन को जाता है। अपने असाधारण अभिनय के साथ, अमिताभ ने एक बार फिर साबित किया कि उन्हें इतने लंबे समय के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेताओं में से एक क्यों माना जाता है। अमिताभ बच्चन को उनके प्रदर्शन के लिए 57वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए अपना तीसरा राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और 5वाँ फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार मिला।
3. ब्लैक / Black (2005)
शैली– ड्रामा निर्देशक– संजय लीला भंसाली
मुख्य कलाकार- अमिताभ बच्चन, रानी मुखर्जी, आयेशा कपूर, शेरनाज़ पटेल आदि
विशेष नोट- ब्लैक एक अंधी-बहरी लड़की के आसपास घूमती है और उसके शिक्षक के साथ संबंध हैं जो बाद में खुद अल्जाइमर रोग से पीड़ित होता है। ‘ब्लैक’ एक व्यावसायिक सफलता थी, जो 2005 में विदेशों में सबसे ज्यादा कमाई करने वाली भारतीय फिल्म बन गई। यह फिल्म 1962 की फिल्म ‘द मिरेकल वर्कर’ से प्रेरित थी। यह फिल्म कैसाब्लांका फिल्म फेस्टिवल और इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया में दिखाई गई थी। इसने सर्वश्रेष्ठ फिल्म का फिल्मफेयर पुरस्कार जीता। इस फिल्म का प्रीमियर 2005 के कान्स फिल्म फेस्टिवल के मार्चे डु फिल्म सेक्शन में किया गया था। अमिताभ बच्चन को 53वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए अपना दूसरा राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला, सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए उनका चौथा फिल्मफेयर पुरस्कार और उनके प्रदर्शन के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का दूसरा फिल्मफेयर क्रिटिक्स अवार्ड और रानी मुखर्जी को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री और उनके लिए दूसरा फिल्मफेयर पुरस्कार मिला। इस फिल्म का रीमेक तुर्की में 2013 में ‘बेनीम दुनीम’ (Benim Dünyam) शीर्षक से बनाया गया था। इस फ़िल्म को 3 नेशनल अवॉर्ड के अलावा 11 फ़िल्मफेयर अवॉर्ड मिले जो अब भी एक रिकॉर्ड है।
2. अग्निपथ / Agneepath (1990)
शैली– एक्शन-क्राइम-ड्रामा निर्देशक– मुकुल आनन्द
मुख्य कलाकार- अमिताभ बच्चन, मिथुन चक्रवर्ती, माधवी, नीलम कोठारी, डैनी, आलोक नाथ, रोहिणी हथंगिडी आदि
विशेष नोट- वर्तमान में क्लासिक माने जाने वाली ये फिल्म टिकट खिड़की पर असफल रही थी। फिल्म का शीर्षक अग्निपथ नाम की कविता से लिया गया था जिसे अमिताभ के पिता हरिवंश राय बच्चन ने लिखा था। यह फ़िल्म अमिताभ बच्चन के करियर में एक मील का पत्थर मानी जाती है और उनकी सर्वकालिक महान फिल्मों में शुमार होती है। अमिताभ बच्चन को उनके अभिनय के लिए 38वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पहला राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला। मिथुन चक्रवर्ती को सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला। 1990 की दसवीं सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म होने के बावजूद, यह फिल्म बॉक्स-ऑफिस पर फ्लॉप के रूप में दर्ज हुई। यश जौहर के बेटे करण जौहर ने अपने पिता को श्रद्धांजलि के रूप में 2012 में इसी शीर्षक के साथ फिल्म का रीमेक बनाया गया था जिसमें हृतिक रोशन ने अमिताभ वाली और संजय दत्त ने डैनी वाली भूमिका अपनी तरह से निभाई। इस फ़िल्म के एक सीन पुलिस स्टेशन में अमिताभ द्वारा बोला गया यह संवाद “विजय दीनानाथ चौहान, पूरा नाम; बाप का नाम दीना नाथ चौहान; मां का नाम सुहासिनी चौहान; गांव मांडवा; उमर 36 साल 9 महिना 8 दिन और ये 16वां घंटा चालू है…” बहुत फेमस हुआ था।
1. दीवार / Deewar (1975)
शैली– एक्शन-क्राइम-ड्रामा निर्देशक– यश चोपड़ा
मुख्य कलाकार- अमिताभ बच्चन, शशि कपूर, निरुपा राय, परवीन बॉबी आदि
विशेष नोट- दीवार हिन्दी सिनेमा की सबसे सफलतम फिल्मों में से है जिसने अमिताभ को “एंग्री यंग मैन” के खिताब से स्थापित कर दिया। यह दीवार दो भाइयों के बीच थी। यह कानून की दीवार थी। एक भाई कानून के पक्ष में था तो दूसरा कानून तोड़ने वाली साइड में खड़ा था। अमिताभ बच्चन ने एंटी हीरो वाले विजय वर्मा की भूमिका अदा की थी। इस फिल्म ने अमिताभ के करियर को नयी बुलंदियों पर पहुँचा दिया। कहा जाता है कि फ़िल्म की कहानी अंडरवर्ल्ड डॉन ‘हाजी मस्तान’ के जीवन पर आधारित है और अमिताभ बच्चन ने यही किरदार निभाया है। फिल्म दो भाईयों की कहानी है जो बचपन में अपने और अपने परिवार पर हुए अत्याचारों को झेलकर जिंदगी में दो अलग अलग रास्ते चुनते हैं, जो दोनों के बीच में एक दीवार खड़ी कर देते हैं। गोदाम में अमिताभ का फाइट सीन आज भी फिल्मों में कॉपी किया जाता है। दीवार का प्रभाव विश्व सिनेमा तक भी फैला है, दीवार ने हांगकांग और ब्रिटिश सिनेमा की फिल्मों को प्रभावित किया है। दीवार में ऐसे कई सीन थे, जो 1975 के हिसाब से आम जन मानस को झकझोरने वाले थे। मसलन बचपन से ही अमिताभ बच्चन अपनी मां के साथ मंदिर नहीं जाते हैं, वे मंदिर के बाहर खड़े होते हैं। एक मासूम बताता है कि वह भगवान को नहीं मानता और जो भी करेगा अपने दम पर करेगा। 1975 में बेस्ट मूवी के सम्मान के साथ दीवार ने 6 फिल्मफेयर अवार्ड जीते थे। दीवार उस साल कमाई के मामले में चौथे नंबर पर रही थी, जरा याद कीजिए कि 1975 भारतीय सिनेमा के लिए कैसा साल था। इस साल ही आई थी शोले, धर्मात्मा, और जय संतोषी माँ। इन तीन फिल्मों ने दीवार से ज्यादा कमाई की थी। फिल्म के संवाद बहुत ही दमदार हैं और आज तक इस्तेमाल किये जाते हैं। फ़िल्म में अमिताभ द्वारा बोले गये कुछ बेहतरीन संवाद-
“मेरा बाप चोर है”
“आज मेरे पास बंगला है, गाड़ी है, बैंक बॅलेन्स है, तुम्हारे पास क्या है?” “मेरे पास माँ है (शशि कपूर द्वारा)“
“मैं आज भी फैंके हुए पैसे नहीं उठाता”
“ये चाबी अपनी जेब में रख ले पीटर, अब ये ताला मैं तेरी जेब से चाबी निकाल कर ही खोलूँगा”
“पीटर तुम मुझे वहाँ ढूंढ रहे हो और मैं तुम्हारा यहाँ इंतज़ार कर रहा हूँ”
अमिताभ बच्चन की अन्य महत्वपूर्ण एवं दमदार फ़िल्में
अभिमान, शक्ति, शोले, मुकद्दर का सिकंदर, चुपके चुपके, सरकार, हम, पिंक, आनंद, बाग़बान, बदला, तीन, आंखें, देव, सत्ते पे सत्ता, लावारिस, त्रिशूल, कालिया, याराना, दोस्ताना, बॉम्बे टू गोवा, हेरा फेरी, नमक हराम, शराबी, कभी कभी, शान, नसीब, सिलसिला, सौदागर, काला पत्थर, परवरिश, मर्द, खुदा गवाह, शहंशाह, विरुद्ध, खाकी, 102 नॉट आउट, वज़ीर, द लास्ट लीयर, देशप्रेमी, वक़्त आदि {अपडेट दिनांक:- 12 सितंबर 2024}