21/11/2024

बॉलीवुड की टॉप-10 ऐतिहासिक फ़िल्में

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भारतीय फिल्म जगत में मनोरंजन के साथ-साथ दर्शकों को उनकी संस्कृति और इतिहास से भी परिचित करवाया जाता है। वहीं बॉलीवुड इंडस्ट्री में कई ऐतिहासिक घटनाएं फिल्मी रूप-रंग के साथ पर्दे पर उतरी हैं। ऐसी ऐतिहासिक फिल्मों ने कमाई के मामले में भी बॉक्स ऑफिस पर ताबड़तोड़ कमाई की है। बॉलीवुड में इतिहास से जुड़े किरदारों या किसी घटना पर आधारित फिल्‍में समय-समय पर बनती रही हैं, लेकिन इन फिल्‍मों को बनाने के पीछे स्टार कास्ट को विवाद और विरोध का सामना करना पड़ा है। हम आपको बॉलीवुड की उन्हीं पॉपुलर ऐतिहासिक फिल्मों के बारे में बताएंगे जिन्होंने लोगों को उनकी संस्कृति और इतिहास से परिचित ही नहीं करवाया बल्कि लोगों के दिलों में एक अलग छाप छोड़ी।

10. केसरी / Kesari (2019)

निर्देशक– अनुराग सिंह लेखक– अनुराग सिंह, गिरिश कोहली

कलाकार– अक्षय कुमार, परिणीति चोपड़ा, हनी यादव, मीर सरवार, अश्वथ भट्ट, राकेश चतुर्वेदी आदि।

विशेष नोट- फ़िल्म की कहानी ‘सारागढ़ी की लड़ाई’ में घटी घटनाओं का अनुसरण करती है, जो 1857 में ब्रिटिश भारतीय सेना की 36वीं सिख रेजिमेंट के 21 सैनिकों और 10,000 अफ़गान लड़ाकों के बीच लड़ी गयी थी। ऐतिहासिक घटनाओं पर आधारित फिल्मों में कुछेक चीज़ें बहुतायत में होने की आशंका रहती है जैसे अननेसेसरी चेस्ट थंपिंग, ओवर मेलोड्रामा और हिस्ट्री छोड़कर कुछ भी दिखाने की ज़िद। लेकिन ‘केसरी’ में इन सब चीज़ों से बचा गया है। ‘केसरी’ देखते वक्त आपके ज़हन में सिक्खों के गुरु गोविंद सिंह जी के बोल घूमते रहते हैं। ‘सवा लाख नाल एक लड़ावां, तां गोविंद सिंह नाम धरावां’। ‘केसरी’ इसी जज़्बे का सिनेमाईकरण है। सैनिकों की बहादुरी, बुलंद हौसला और जज्बात का शानदार चित्रण आपकी आंखें नम कर सकता है। क्लाइमेक्स जबरदस्त है जब अक्षय कुमार बंदूक, तलवार, पत्थर लेकर आख़िरी सांस तक शेर की तरह लड़ता है। फ़िल्म को दर्शक एवं समीक्षक दोनों ने खूब पसंद किया। फ़िल्म के गीत ‘तेरी मिट्टी’ के गायक ‘बी प्राक’ को नेशनल अवार्ड से सम्मानित किया गया।

9. बाजीराव मस्तानी / Bajirao Mastani (2015)

निर्देशक– संजय लीला भंसाली लेखक– प्रकाश कपाडिया

कलाकार– रणवीर सिंह, दीपिका पादुकोण, प्रियंका चोपड़ा, तन्वी आज़मी, रज़ा मुराद, मिलिंद सोमण, महेश मंजरेकर, आदित्य पंचोली आदि।

विशेष नोट- ‘बाजीराव मस्तानी’ एक भारतीय ऐतिहासिक (मराठा युग) फ़िल्म है जिसका निर्देशन और निर्माण संजय लीला भंसाली ने किया है। यह फिल्म सुप्रसिद्ध मराठी उपन्यासकार नागनाथ इनामदार के उत्कृष्ट ऐतिहासिक उपन्यास ‘राऊ’ पर आधारित है। यह उपन्यास मराठी ही नहीं बल्कि संपूर्ण भारतीय भाषाओं के सफलतम ऐतिहासिक उपन्यासों में से एक है। इसमें इतिहास एवं इतिहास-रस दोनों की रक्षा करते हुए उत्कृष्ट सर्जनात्मकता का परिचय दिया गया है। फ़िल्म मराठा साम्राज्य के पेशवा बाजीराव और उसकी दूसरी पत्नी मस्तानी के बारे में बताती है। रणवीर सिंह और दीपिका पादुकोण ने ये दोनों मुख्य किरदार निभाए हैं, प्रियंका चोपड़ा ने बाजीराव की पहली पत्नी काशीबाई का एवं तन्वी आज़मी ने बाजीराव की माँ राधाबाई का किरदार निभाया है। बाजीराव मस्तानी ने 7 नेशनल अवार्ड जीतने के अलावा 9 फ़िल्मफेयर अवार्ड भी अपने नाम किये।

8. सरदार उधम /  Sardar Udham (2021)

निर्देशक– शूजित सरकार लेखक– शुबेन्दु भट्टाचार्य, रितेश शाह

कलाकार– विक्की कौशल, बनिता संधू, अमोल पाराशर, शॉन स्कॉट, स्टीफ़न हॉगन आदि।

विशेष नोट- निर्देशक शूजित सरकार की फिल्म सरदार उधम इसी वीर स्वतंत्रता सेनानी की बायोपिक है। 2021 में रिलीज हुई यह फिल्म तथ्यों के साथ आंशिक रचनात्मक आजादी लेते हुए सरदार उधम की जिंदगी की कहानी बताती है जो निश्चित ही जानने और देखने योग्य है। भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के कई शहीदों को अभी न्याय और सम्मान मिलना बाकी है। वह जो इतिहास के पन्नों में कुछ पंक्तियों में सिमट गए और वह भी जो राजनीतिक रस्साकशी में हाशिये पर कर दिए गए। इस लिहाज से सरदार उधम की कहानी के लिए शूजित सरकार के काम की प्रशंसा करनी चाहिए क्योंकि उन्होंने इसे सिर्फ फिल्म न रखते हुए किसी दस्तावेज की तरह पर्दे पर उतारा है। फिल्म में 1900 से 1941 के दौर में भारत और लंदन जीवंत हो उठे हैं। चाहे जगहें-इमारतें-सड़कें हों, सभा भवन हों, किरदारों के परिधान हों, उस समय का माहौल हो या दृश्यों में नजर आने वाली तमाम प्रॉपर्टी। आप अतीत को अपनी आंखों के सामने मौजूद पाते हैं। फिल्म में शेर सिंह/उधम सिंह (विक्की कौशल) का शुरुआती सफर जेल से निकल कर रूस के रास्ते लंदन पहुंचने तक दिखाया गया है। फ़िल्म मेकिंग बहुत शानदार है जो निश्चित तौर पर यादगार है।

7. नेताजी सुभास चंद्र बोस: द फॉरगोटन हीरो / Netaji Subhas Chandra Bose: The Forgotten Hero (2005)

निर्देशक– श्याम बेनेगल लेखक– अतुल तिवारी, शमा ज़ैदी

कलाकार– सचिन खेडेकर, कुलभूषण खरबंदा, रजित कपूर, दिव्या दत्ता, आरिफ़ जकारिया आदि।

विशेष नोट- एक आम भारतीय नागरिक के लिए नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु अभी भी एक पहेली है। और ईमानदारी से कहा जाये तो उनके जीवन पर आधारित बहुत कम फिल्में अपनी कहानी खुद बयां करती हैं। यहां चर्चा में फिल्म वास्तविक बोस को चित्रित करने के करीब आती है क्योंकि निर्देशक श्याम बेनेगल प्रशंसा से अधिक चमकदार होते हैं और उनकी दृष्टि, जीवन और मृत्यु का संतुलित दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं। फिल्म को जबरदस्त आलोचनात्मक प्रतिक्रिया के साथ रिलीज़ किया गया और दो राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीते। सचिन खेडेकर ने नेताजी के रूप में बेहतरीन अभिनय किया है। ऐसा लगता है जैसे सुभास चंद्र बोस को ही देख रहे हों।

6. अर्थ / Earth (1999)

निर्देशक- दीपा मेहता लेखक- बाप्सी सिध्वा

कलाकार- आमिर ख़ान, राहुल खन्ना, नंदिता दास, शबाना आज़मी, कुलभूषण खरबंदा, पवन मल्होत्रा आदि।

विशेष नोट- दीपा मेहता की ‘अर्थ’ मानवीय भावनाओं के विभिन्न रंगों को दर्शाने के लिए सही बटन दबाती है। फिल्म की कहानी – बाप्सी सिध्वा की ‘क्रैकिंग इंडिया’ पर आधारित है। विभाजन के पूर्व और बाद के भारत और बदलते राजनीतिक परिदृश्य के साथ मानवीय रिश्ते कैसे बदलते हैं, दोनों पर केंद्रित है। आमिर खान, राहुल खन्ना और नंदिता दास ने प्यार, क्रोध, भय और भेद्यता के सही प्रदर्शन के साथ अपनी-अपनी भूमिकाओं में जान फूंक दी। फिल्म के तनावपूर्ण क्षण, विशेष रूप से अंत, आपको घटनाओं के मोड़ पर डरावनी से कांपने की क्षमता रखते हैं क्योंकि यह आपको यह भी महसूस कराता है कि ये घटनाएं भारत के इतिहास में एक निश्चित बिंदु पर बहुत अधिक सच हो सकती थीं। ‘अर्थ’ को 71वें अकादमी पुरस्कार (ऑस्कर) में भारत की आधिकारिक प्रविष्टि के रूप में भेजा गया था लेकिन यह आगे नहीं बढ़ सकी।

5. सरदार / Sardar (1993)

निर्देशक- केतन मेहता लेखक- विजय तेंदुलकर, हृदय लानी

कलाकार- परेश रावल, अन्नू कपूर, बेंजामिन गिलानी, श्री वल्लभ व्यास, टॉम अल्टर, गोविन्द नामदेव, सतीश कौशिक आदि।

विशेष नोट- केतन मेहता की ‘सरदार’ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे प्रतिभाशाली लोगों में से एक वल्लभ भाई पटेल की बायोपिक है। भारत के लौहपुरुष के रूप में उपनामित, सरदार वल्लभभाई पटेल आखिरकार केतन मेहता के निर्देशन की दृष्टि से गांधी और नेहरू की छाया से बाहर आए। परेश रावल शीर्षक भूमिका में चमकते हैं और कुछ ऐसा प्रदान करते हैं जिसे शायद उनके बहुप्रशंसित अभिनय करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कहा जा सकता है। फिल्म एक से अधिक कारणों से सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। फिल्म का निर्माण पूर्व भारतीय गृह मंत्री एच.एम. पटेल और पटकथा प्रसिद्ध नाटककार विजय तेंदुलकर ने लिखी थी। फिल्म विभाजन युग के दौरान राज्यों के एकीकरण के मुद्दे पर केंद्रित है और सरदार और गांधी के बीच संबंधों पर भी प्रकाश डालती है। सरदार को 2 नेशनल अवार्ड से नवाजा गया है।

4. द लीजेंड ऑफ़ भगत सिंह / The Legend of Bhagat Singh (2002)

निर्देशक- राजकुमार संतोषी लेखक- राजकुमार संतोषी, पीयूष मिश्रा, अंजुम राजबली

कलाकार- अजय देवगन, सुशांत सिंह, अखिलेंद्र मिश्रा, डी. संतोष, अमृता राव, राज बब्बर, फ़रीदा जलाल, मुकेश तिवारी आदि।

विशेष नोट- द लेजेंड ऑफ भगत सिंह, इस देश के सबसे लोकप्रिय स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह पर आधारित है। 2002 में रिलीज हुई यह फिल्म राजकुमार संतोषी द्वारा निर्देशित है। फिल्म में अजय देवगन ने भगत सिंह का किरदार निभाया था, अजय को उनके इस रोल के लिए दर्शकों ने खूब सराहा था। अजय के साथ इस फिल्म में सुशांत सिंह और अखिलेंद्र मिश्रा भी नजर आए थे। राजकुमार संतोषी की ‘द लेजेंड ऑफ भगत सिंह’ क्लासिक ऐतिहासिक नाटकों का सामान है। यह एक बार सम्मोहक, भावनात्मक, प्रेरक और आकर्षक है। अजय देवगन स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह के अपने चित्रण के साथ पूर्ण न्याय करते हैं, जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक प्रमुख भूमिका निभाई थी। फिल्म इस बात का विस्तृत अध्ययन है कि कैसे भगत सिंह नायक बने, जिसकी हर कोई प्रशंसा करता है और कैसे उन्होंने एक स्वतंत्र राष्ट्र की वास्तविकता के लिए अपना सब कुछ दे दिया। अजय देवगन के उत्साही प्रदर्शन ने उन्हें अपने करियर का दूसरा राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार दिलाया। इतिहास के प्रति आकर्षण रखने वाले किसी भी व्यक्ति को यह फ़िल्म अवश्य देखनी चाहिए। फ़िल्म ने 2 नेशनल अवार्ड के अलावा 3 फ़िल्मफेयर अवार्ड अपने नाम किये।

3. शतरंज के खिलाड़ी / Shatranj Ke Khiladi (1977)

निर्देशक- सत्यजीत रे लेखक- सत्यजीत रे, शमा ज़ैदी, जावेद सिद्दिक़ी

कलाकार- संजीव कुमार, सईद जाफ़री, अमजद ख़ान, शबाना आज़मी, फ़रीदा जलाल, फ़ारुक़ शेख, रिचर्ड एटनबरो, टॉम अल्टर आदि।

विशेष नोट- भारतीय सिनेमा के उस्ताद सत्यजीत रे की हिंदी फिल्मों में पहली शुरुआत थी यह फ़िल्म। उन्होंने भारतीय राजघरानों, अवध के राज्य के शासक, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रति उदासीनता को अपने फोकस के विषय के रूप में चुना। फिल्म की घटनाएं सिपाही विद्रोह की पूर्व संध्या पर होती हैं क्योंकि भारतीय स्वतंत्रता की लड़ाई गति पकड़ती है। फिल्म शाही परिवार के बीच गंभीरता की कमी को उजागर करने के लिए दो समानांतर कहानियां बताती है- मिर्जा सज्जाद अली और मीर रोशन अली। यहाँ शतरंज का खेल ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और रॉयल्टी द्वारा प्रतिनिधित्व किए गए भारत के नागरिकों के बीच सत्ता संघर्ष को प्रदर्शित करने के लिए एक प्रतीकात्मक अर्थ लेता है। फिल्म अमिताभ बच्चन द्वारा सुनाई गई थी जिसने निश्चित रूप से इसके पक्ष में काम किया। भारतीय फिल्म और रंगमंच के कुछ बेहतरीन कलाकार इस फिल्म के लिए एकसाथ आए और इस तरह के मार्मिक विषय को संभालने के लिए ‘सत्यजीत रे’ के त्रुटिहीन निर्देशन और अभिनेताओं के एक सुपर प्रतिभाशाली समूह को सहजता से धन्यवाद दिया। सत्यजीत रे ने फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशन का फिल्मफेयर पुरस्कार जीता।

2. गर्म हवा / Garam Hava (1974)

निर्देशक- एम एस सथ्यू लेखक- कैफ़ी आज़मी, शमा ज़ैदी

कलाकार- बलराज साहनी, फ़ारुक़ शेख, दीनानाथ जुत्शी, बादर बेगम, गीता सिद्धार्थ, शौकत कैफ़ी आदि।

विशेष नोट- यह भारत-पाकिस्तान के विभाजन की पृष्ठभूमि में बनी फिल्म है। ‘गर्म हवा’ निस्संदेह भारत के विभाजन के बाद की सामाजिक परिस्थितियों पर आधारित सबसे मानवीय फिल्म है। फिल्म इस्मत चुगताई की एक अप्रकाशित लघु कहानी से प्रेरित है। उत्तर प्रदेश में सेट, यह फिल्म 1947 में भारत के विभाजन के बाद उत्तर भारतीय मुस्लिम व्यापारी और उनके परिवार की दुर्दशा से संबंधित है। यह फ़िल्म सलीम मिर्जा के परिवार की दुर्दशा के बारे में बताती है। सलीम मिर्जा का किरदार बलराज साहनी द्वारा निभाया गया जो अधिकांश मुस्लिम लोगों के पाकिस्तान चले जाने के बावजूद भारत में ही रहता है। यह फिल्म आज भी उतनी ही प्रभावशाली है जितनी रिलीज के समय थी। इसे 1974 के कान फिल्म समारोह में प्रदर्शित किया गया था। गर्म हवा को ऑस्कर में भी नामित किया गया। गर्म हवा ने 3 फ़िल्मफेयर पुरस्कार के अलावा 1 नेशनल अवार्ड भी अपने नाम किया है।

1. मुग़ल-ए-आज़म / Mughal-e-Azam (1960)

निर्देशक- के. आसिफ़ लेखक- अमानुल्लाह ख़ान, कमाल अमरोही, के. आसिफ़, वजाहत मिर्ज़ा एहसान रिज़वी

मुख्य कलाकार- दिलीप कुमार, मधुबाला, पृथ्वीराज कपूर, दुर्गा खोटे, निगार सुल्ताना, अजीत, एम कुमार, शिल्पी मुराद, जलाल आग़ा, विजयलक्ष्मी, एस नज़ीर, सुरेन्द्र, जॉनी वॉकर, तबस्सुम आदि

विशेष नोट- के. आसिफ द्वारा निर्देशित फिल्म ‘मुग़ल ए आज़म’ 60 के दशक की सफल फिल्मों में से एक थी। मुग़ल ए आज़म हिंदी सिनेमा इतिहास की भव्यतम फिल्मों में से एक हैं। फ़िल्म अकबर (पृथ्वीराज कपूर) के बेटे शहज़ादा सलीम (दिलीप कुमार) और दरबार की एक कनीज़ नादिरा (मधुबाला) के बीच में प्रेम की कहानी दिखाती है। नादिरा को अकबर द्वारा अनारकली का ख़िताब दिया जाता है। फ़िल्म में दिखाया गया है कि सलीम और अनारकली में धीरे-धीरे प्यार हो जाता है और अकबर इससे नाखुश होते हैं। अनारकली को कैदखाने में बंद कर दिया जाता है। सलीम अनारकली को छुड़ाने की नाकाम कोशिश करता है। अकबर अनारकली को कुछ समय बाद रिहा कर देते हैं। सलीम अनारकली से शादी करना चाहता है पर अकबर इसकी इजाज़त नहीं देते। सलीम बगावत की घोषणा करता है। अकबर और सलीम की सेनाओं में जंग होती है।

अन्य महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक फ़िल्में

तान्हाजी- द अनसंग वॉरियर, जोधा अकबर, पद्मावत, चिटगोंग, 1971, उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक, एयरलिफ़्ट, बॉर्डर, राग देश, बाटला हाउस, द ताशकंद फ़ाइल्स, परमाणु: द स्टोरी ऑफ़ पोखरण, द ग़ाज़ी अटैक, सिकंदर (1941), ट्रेन टू पाकिस्तान, मणिकर्णिका: द क्वीन ऑफ़ झांसी, गोल्ड, ताज महल, शहीद, रज़िया सुल्तान (1983), मंगल पांडे आदि।
विशेष नोट: इस सूची में फ़िल्म गांधी (1982) और हे राम (2000) को शामिल नहीं किया गया है। इसका कारण है कि दोनों फ़िल्में बॉलीवुड में नहीं बनी। ‘हे राम’ मूलत तमिल में बनी है जबकि ‘गांधी’ अंग्रेज़ी में। यदि दोनों ही हिन्दी फ़िल्में होती तो टॉप-10 की सूची में अवश्य स्थान बनातीं।
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