21/11/2024

बॉलीवुड इतिहास की टॉप-10 जासूसी फ़िल्में

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बॉलीवुड इतिहास की टॉप-10 जासूसी थ्रिलर फ़िल्में / Top 1o Spy Thriller Films of Bollywood

जासूसों को हमेशा से ही देश के लिए जान लेने और देने वाला ऐसा देशभक्त माना जाता है जो अपनी जान की परवाह न करते हुए अकेले ही दुश्मनों के मंसूबे नाकाम कर देता है। भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ (RAW), आईबी (IB) में काम करने वाले बेनाम एजेंटों पर बॉलीवुड में कई फिल्में बनी हैं। ये सीक्रेट एजेंट्स दुश्मन देश की जासूसी करते हैं और उनके षड्यंत्र को विफल करते हैं या फिर दुश्मनों को मार गिराते हैं। इस तरह की फिल्मों में हिट होने का अपार मसाला मौजूद रहता है। दरअसल जासूसी कहानियों को लेकर सिनेमा में एक अलग सा क्रेज रहा है। दुनियाभर में जासूसी कहानियों पर फिल्में बनी हैं, बनती रही हैं। बॉलीवुड भी इससे अछूता नहीं है और यहां भी शुरू से ही रहस्य-रोमांच से भरपूर फिल्में बनती रही हैं। हम आपको ऐसी ही टॉप-10 जासूसी फिल्मों के बारे में बता रहे हैं, जो अपने-अपने समय में काफी चर्चित और हिट रहीं साथ ही आज भी देखने योग्य हैं।

10. 16 दिसंबर / 16 December (2002)

लेखक-निर्देशक मणि शंकर की ये फिल्म पाकिस्तानी आतंकवाद पर आधारित है। वर्ष 1971 की हार से बौखलाया हुआ पाकिस्तानी सेना का पूर्व अधिकारी दिल्ली पर परमाणु बम का हमला करने की फिराक में होता है। इसका पता भारतीय जासूसों को लगता है और फिर सीक्रेट एजेंट ब्लैक मनी ट्रांजेक्शन के जरिए पूरे षड़यंत्र का पता लगाते हैं। इस फिल्म को दर्शकों और समीक्षकों दोनों ने खूब सराहा था।  डैनी, गुलशन ग्रोवर, मिलिंद सोमण, सुशान्त सिंह के अभिनय से सजी यह फ़िल्म टेक्नोलॉजी के मामले में भी काफ़ी आगे थी जो इसे आज भी देखने लायक बनाता है।

9. मुखबिर / Mukhbiir (2008)

मुखबिर का मतलब होता है सूचना देने वाला। ये फिल्म पुलिस स्टेशन के बारे में बताती है। जिसमें सूचना देने वाला एक ऐसा शख्स होता है जो दोहरी जिन्दगी जी रहा होता है। एक नौजवान लड़का जिसने 18 साल की दहलीज पार नहीं की है, वो एक बड़े पुलिस अधिकारी के आदेश पर जेल से छूटते ही पुलिस का मुखबिर बन जाता है। वह सफलापूर्वक आतंकवादी संगठनों, ड्रग डीलरों और अंग तस्करी करने वाले गिरोहों में घुसपैठ कर लेता है। लेकिन उस पर उसकी दोहरी जिन्दगी बहुत भारी होती है। मणि शंकर द्वारा लिखित एवं निर्देशित 2008 की यह एक भारतीय जासूस के जीवन पर आधारित थ्रिलर फिल्म है। अभिनेता समीर दत्तानी जासूस के रूप में हैं और मंझे हुए कलाकार ओम पुरी, सुनील शेट्टी, सुशांत सिंह, राहुल देव, जैकी श्रॉफ़ और राइमा सेन आदि ने सहायक भूमिकाएँ निभाईं हैं। फ़िल्म अच्छी है जो समीक्षकों को पसंद भी आयी लेकिन बॉक्स ऑफ़िस पर सफल नहीं हो पायी।

8. आंखें / Aankhen (1968)

सदाबहार अभिनेता जितेन्द्र और बबीता की 1967 में रिलीज फ़र्ज़ (Farz) के हिट होने के बाद बॉलीवुड के हीमैन धर्मेन्द्र को लेकर रामानंद सागर ने बड़े बजट की फिल्म ‘आंखें’ बनाई जिसमें जासूसी को प्रमुखता से दर्शाया गया। शानदार विदेशी लोकेशन, ही-मैन धर्मेन्द्र और जानदार स्क्रिप्ट के कारण यह फिल्म सुपरहिट रही और उस दौर में यह अनूठे विषय के कारण खासी सराही गई। फिल्म में धर्मेन्द्र के अलावा माला सिन्हा, महमूद, ललिता पवार, जीवन और मदन पुरी ने मुख्य भूमिका निभाई हैं। फ़िल्म का संगीत रवि ने दिया और गीत साहिर लुधियानवी ने लिखे। बड़ा बजट होने के वाबजूद यह 1968 की सबसे अधिक मुनाफ़ा कमाने वाली फ़िल्म साबित हुई। इस फिल्म ने रामानंद सागर को सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का एकमात्र फिल्मफेयर पुरस्कार दिया।

7. जॉनी मेरा नाम / Johny Mera Naam (1970)

विजय आनंद द्वारा निर्देशित इस फिल्म को क्लासिक माना जाता है। देव आनंद ने इसमें अंडरकवर सीआईडी एजेंट की भूमिका निभाई थी जो प्रेमनाथ द्वारा की जा रही अवैध गतिविधियों पर नजर रखता है। बॉक्स ऑफिस पर यह फिल्म ब्लॉकबस्टर रही थी। इस साल के फिल्मफेयर पुरस्कारों में, विजय आनंद ने सर्वश्रेष्ठ पटकथा का फिल्मफेयर पुरस्कार जीता, जबकि अभिनेता आई.एस.जौहर को अपनी तिहरी भूमिका (ट्रिपिल रोल) के लिए कॉमिक रोल में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। इस फिल्म को कन्नड़ में ‘अपूर्वा संगमा’ के रूप में, तेलुगु में ‘एडुरुलेनी मनीषी’ के रूप में और तमिल भाषा में ‘राजा’ के रूप में रीमेक किया गया। कल्याणजी-आनंदजी द्वारा रचित इस फिल्म में किशोर कुमार द्वारा गाया गया गीत ‘पल भर के लिये कोई हमें प्यार कर ले” बहुत लोकप्रिय हुआ था।

6. डिटेक्टिव ब्योमकेश बक्शी! / Detective Byomkesh Bakshy! (2015)

यह फिल्म बांग्ला के मशहूर प्राइवेट डिटेक्टिव कैरेक्टर ब्योमकेश बख्शी पर आधारित है। ब्योमकेश बख्शी के किरदार को चर्चित क्राइम उपान्यासकार शरदेंदु बंद्दोपाध्याय ने लिखा था। फिल्म की कहानी 40 के दशक की है, जब द्वितीय विश्वयुद्ध शुरू हुआ था और कलकत्ता पर जापानियों के आक्रमण के खतरे मंडरा रहे थे। फिल्म पूरी तरह जासूसी के कलेवर में लिपटी है। हालांकि फिल्म को दर्शकों ने उतना पसंद नहीं किया, जितनी उम्मीद थी। फिल्म का निर्देशन दिबाकर बनर्जी ने किया जो समीक्षकों को पसंद भी आया। सुशांत सिंह राजपूत एक मेहनती कलाकार थे, और उनकी मेहनत फिल्म में साफ नजर भी आती है। वे ब्योमकेश के किरदार में एकदम फिट हैं। सुशांत की कोशिश किरदार को नपे-तुले ढंग से परदे पर लाने की रही और दिबाकर के साथ मिलकर उन्होंने ब्योमकेश को परदे पर जीवित करने का काम भी किया है। अन्य सितारे स्वास्तिका मुखर्जी, दिव्या मेनन, नीरज काबी, आनंद तिवारी आदि सभी ने बेहतरीन अभिनय किया है।

5. डी डे / D Day (2013)

डी डे भारतीय जासूसों की एक कहानी है, जिसमें एक आदमी को मारना होता है, जिसका कोड होता है गोल्डमैन। एक अंडरकवर रॉ एजेंट को पाकिस्तान में गोल्डमैन को जिंदा खोजना होता है जबकि इसकी खातिर तीन भारतीय एजेंट पाकिस्तान जाते हैं। लेकिन यह योजना गलत हो जाती है। इस फिल्म का निर्देशन निखिल आडवाणी ने किया है। यह फिल्म भारत के कुख्यात अपराधी दाऊद इब्राहिम को भारत लाने के मिशन पर बनी है। इरफान खान ने इसमें रॉ के स्पेशल एजेंट की भूमिका निभाई थी जो पाकिस्तान में डी कंपनी के हर कदम पर नजर रखता है। इस फिल्म को चर्चा तो खूब मिली थी, लेकिन बॉक्स ऑफ़िस पर सफलता नहीं मिली। स्पाय थ्रिलर के शौकीनों को यह फिल्म बहुत पसंद आई थी। फिल्म में इरफ़ान खान, अर्जुन रामपाल, ऋषि कपूर, हुमा कुरैशी, श्रुति हासन और राजपाल यादव मुख्य भूमिकाओं में थे।

4. मद्रास कैफ़े / Madras Cafe (2013)

सुजीत सरकार द्वारा निर्देशित यह फ़िल्म एक रॉ एजेंट पर बनी बेहतरीन फिल्म है। फिल्म में विक्रम नाम के एक इंटेलिजेंस एजेंट की कहानी है, जिसे एक ख़ुफ़िया मिशन के लिए श्रीलंका भेजा जाता है। इस पॉलिटिकल थ्रिलर का ताना-बाना भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या और उसमें लिट्टे संगठन की भूमिका के इर्दगिर्द बुना गया है। जॉन अब्राहम के करियर की इसे सबसे बेहतरीन फिल्म कहा जा सकता है। फिल्म में बारीकी से हर बात को पेश किया गया है और यह वास्तविकता के निकट लगती है। इस फ़िल्म में निर्माता जॉन अब्राहम के अलावा नर्गिस फ़ाखरी और प्रकाश बेलावड़ी भी प्रमुख भूमिका में थे। फ़िल्म समीक्षकों को पसंद आयी लेकिन बॉक्स ऑफ़िस पर औसत रही। इस फिल्म के लिए निहार रंजन सामल (लोकेशन साउंड रिकॉर्डिंग) और बिश्वदीप चटर्जी (साउंड डिजाइन) ने सर्वश्रेष्ठ ऑडियोग्राफी का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता।

3. राज़ी / Raazi (2018)

यह हरिंदर सिक्का के उपन्यास कॉलिंग सहमत पर बनायी गयी है। फिल्म की कहानी 1971 भारत पाक युद्ध के दौरान की है। यह फिल्म देश के लिए जासूसी करने वाली बहादुर लड़की की कहानी है। सहमत खान नाम की यह लड़की RAW एजेंट है, जो अपने पिता के कहने पर पाकिस्तानी सेना के अधिकारी के बेटे से शादी करती है, ताकि वह दुश्मन के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी इकट्ठा कर सकें। इस फिल्म में आलिया भट्ट के अलावा विकी कौशल, जयदीप अहलावत, सोनी राजदान और संजय सूरी थे। इसमें आलिया भट्ट के अभिनय की ख़ूब तारीफ़ की गई थी। इसका निर्देशन मेघना गुलज़ार ने किया था। राज़ी को फिल्मफेयर अवार्ड्स में 15 नामांकन मिले, जहाँ इसने पाँच पुरस्कार जीते, जिनमें सर्वश्रेष्ठ फिल्म, सर्वश्रेष्ठ निर्देशक और आलिया भट्ट के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री शामिल हैं।

2. ज्वैल थीफ़ / Jewel Thief (1967)

एक साधारण आदमी जेवरातों की चोरी करने वाले गिरोह का सरगना मान लिया जाता है। लोग उसे ज्वेल थीफ के नाम से जानने लगते हैं। जब सारे सबूत उसके खिलाफ हो जाते हैं तब वो एक मिशन पर निकलता है। अंडरकवर एजेंट के रूप में वो महंगी जेवरातों की चोरी करने वाले गैंग का पर्दाफाश करना चाहता है और जब राज खुलता है तो दर्शक मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। इस शानदार फिल्म को विजय आनंद ने डायरेक्ट किया था। 1967 में बनी ये फ़िल्म एक बेहतरीन स्पाई थ्रिलर थी। इस फ़िल्म में वैजयंती माला और देवआनंद ने लीड रोल किया है। इस फिल्म को नवकेतन फिल्म्स की 60वीं वर्षगांठ के अवसर पर भारत के सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा प्रदर्शित किया गया था।

1. बेबी / Baby (2015)

अगर आपको जासूसी और ऐक्शन का ताड़का पसंद है, तो आपको ‘बेबी’ ज़रूर देखनी चाहिए। फ़िल्म के मुख्य कलाकार अक्षय कुमार, राणा दुग्गूबाती, डैनी, तापसी पन्नू, अनुपम खेर, के.के. मेनन आदि हैं। वेडनेसडे जैसी बेहतरीन फ़िल्म बनाने वाले नीरज पांडे द्वारा लिखित एवं निर्देशित यह फ़िल्म भारतीय ख़ुफ़िया तंत्र की एक ख़ास टीम आतंकियों का पता लगाने और उन्हें नष्ट करने के मिशन पर आधारित है। इसमें भारतीय जासूस अजय सिंह एक घातक मिशन को अंजाम देने के लिए एक टीम का नेतृत्व करते हैं। यह टीम ‘बेबी’ नाम के गुप्त एजेंटों की इकाई है जो कि भारत सरकार के लिए काम करती है। यह फ़िल्म अक्षय कुमार के बेहतरीन अभिनय और नीरज पांडे के बेहतरीन निर्देशन के लिए जानी जाती है। फ़िल्म में जब थ्रिल शुरू होता है तो आप अपनी सीट पकड़ कर बैठ जायेंगे और फ़िल्म खत्म होने के बाद ही उठेंगे। इस फ़िल्म का स्पिनऑफ़ भी ‘नाम शबाना’ नाम से बना था जिसमें तापसी पन्नू ने मुख्य भूमिका निभाई।

 

 टॉप 10 के अतिरिक्त अन्य दमदार जासूसी फ़िल्में

रोमियो अकबर वाल्टर (2019), नाम शबाना (2017), फैंटम (2015), जग्गा जासूस (2017), एजेन्ट विनोद (2012), बादशाह (1999), एक था टाइगर (2012), गैंगस्टर (2006), सीआईडी (1956), फ़र्ज़ (1967), सुरक्षा (1979), द ग्रेट गैम्बलर (1979), द हीरो: लव स्टोरी ऑफ़ ए स्पाय (2003), अय्यारी (2018), गोपीचंद जासूस (1982)। {अपडेट दिनांक:- 22 दिसंबर 2020}

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