बॉलीवुड इतिहास की टॉप-10 कोर्ट रूम ड्रामा मूवीज
1 min readफ़िल्मों में कोर्ट रूम सीन बहुत ही मेहनत से बनाये जाते हैं क्योंकि कोर्ट सीन को बेहतर बनाने के लिए दोनों पक्षों को बेहतरीन संवाद चाहिये होते हैं। असली अदालत से तो कम ही लोगों को पाला पड़ता है, लेकिन फिल्मों ने लकड़ी का हथौड़ा ठोंकते हुए ‘साइलेंस-साइलेंस’ कहने वाले ‘मीलॉर्ड’ की तस्वीर हमारे जेहन में बैठा दी है। कोर्ट की कार्यवाही हमारे समाज और न्यायतंत्र का बहुत ही अहम हिस्सा है। शायद इसीलिए बॉलीवुड की कई फिल्मों में भी अदालत की कार्यवाही को बहुत अहम स्थान दिया गया है। कुछ फिल्में तो ऐसी है जिनका क्लाइमेक्स या सबसे अहम भाग ही कोर्ट सीन रहा है। यहां हम बॉलीवुड इतिहास की 10 सबसे बेहतरीन कोर्ट रूम ड्रामा मूवीज के बारे में बता रहे हैं।
बॉलीवुड इतिहास की टॉप-10 कोर्ट रूम ड्रामा मूवीज / Top 1o Courtroom Drama Movies of Bollywood History
10. मुल्क / Mulk (2018)
निर्देशक एवं लेखक- अनुभव सिन्हा
मुख्य कलाकार– ऋषि कपूर, तापसी पन्नू, मनोज पाह्वा, आशुतोष राणा, प्रतीक बब्बर, रजत कपूर आदि
विशेष नोट- सभी मुस्लिम आतंकवादी नहीं होते। इस लाइन को अंडरलाइन करते हुए कई फिल्में बनी हैं। अनुभव सिन्हा की ‘मुल्क’ भी इस बात को जोर-शोर से उठाती है, लेकिन साथ ही यह कई बातें और भी करती हैं। मुल्क का एक्टिंग डिपार्टमेंट बहुत मजबूत है। ऋषि कपूर ने मुराद अली की हताशा को अच्छे से दर्शाया है। तापसी पन्नू क्लाइमैक्स में दिखा देती हैं कि एक एक्ट्रेस के रूप में उनकी रेंज क्या है। जज के रूप में कुमुद मिश्रा का अभिनय जबरदस्त है। फैसला सुनाते समय उनका अभिनय देखने लायक है। आशुतोष राणा ने अपना रोल इस तरह अदा किया है कि लोग उनके किरदार से नफरत करे। फिल्म की सपोर्टिंग कास्ट का काम भी अच्छा है। इन सबमें बाजी मार ले जाते हैं मनोज पाहवा। पुलिस कस्टडी में वे अपने अभिनय से हिला देते हैं। मुल्क की खासियत यह है कि यह बेहतर हिंदू या बेहतर मुसलमान बनने की बजाय बेहतर इंसान बनने की बात करती है।
9. रुस्तम / Rustom (2016)
निर्देशक- टीनू सुरेश देसाई लेखक- विपुल के. रावल
मुख्य कलाकार– अक्षय कुमार, इलियाना डिक्रूज, ईशा गुप्ता, अर्जन बाजवा, कुमुद मिश्रा, पवन मल्होत्रा, सचिन खेडेकर, उषा नादकर्णी, अनंग देसाई, परमीत सेठी आदि
विशेष नोट- ये फिल्म नौसेना के एक अधिकारी के जीवन से जुड़ी सत्य घटना पर आधारित है। नौसेना का ये अधिकारी एक व्यक्ति की गोली मारकर हत्या कर देता है और खुद को कानून के हवाले कर देता है। अब ज्यूरी को इस बात का फैसला करना होता है कि ये एक सुनियोजित हत्या है या फिर आत्मरक्षा में हुए एक अप्रत्याशित घटना। फ़िल्म में और भी कई मोड़ है जो समय समय पर दर्शक को चौंकाते रहते हैं। अक्षय कुमार को इस फ़िल्म में बेहतरीन अभिनय के लिए नेशनल अवार्ड मिला था।
8. मेरी जंग / Meri Jung (2007)
निर्देशक- सुभाष घई लेखक- जावेद अख़्तर
मुख्य कलाकार– अनिल कपूर, मीनाक्षी शेषाद्रि, नूतन, जावेद ज़ाफरी, अमरीश पुरी, परीक्षित साहनी, ऐ.के. हंगल, वीजू खोटे आदि
विशेष नोट- शोमैन सुभाष घई की ये फिल्म वैसे तो काफी नाटकीयता लिए हुए है, लेकिन अनिल कपूर और अमरीश पुरी के बीच संवादों की जंग ने इस फिल्म को काफी दिलचस्प बना दिया। फिल्म के एक दृश्य में वकील की भूमिका निभा रहे अनिल कपूर जहर दिए जाने के आरोप को झुठलाने के लिए भरे कोर्ट रूम में जहर पी लेते हैं। इस फिल्म का एक बड़ा हिस्सा कोर्ट रूम में शूट किया गया है, इसीलिए इसे कोर्ट रूम ड्रामा की सूची में शामिल किया गया है। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर एक बड़ी सफलता थी और समीक्षकों द्वारा सराही गयी थी। इस फिल्म ने अनिल कपूर को स्टारडम दिया। इस फिल्म में अनिल कपूर का अभिनय आज भी उनके सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शनों में से एक माना जाता है और उन्हें अपना पहला फिल्मफेयर पुरस्कार नामांकन भी मिला।
7. जॉली एलएलबी / Jolly LLB (2013)
निर्देशक/लेखक- सुभाष कपूर
मुख्य कलाकार– अरशद वारसी, बोमन ईरानी, अमृता राव, सौरभ शुक्ला, मनोज पाहवा, संजय मिश्रा, हर्ष छाया, बृजेन्द्र काला, रमेश देव, विभा छिब्बर आदि
विशेष नोट- इस फिल्म में दर्शकों को हंसाने के लिए भरपूर मसाला है, लेकिन फिल्म एक गंभीर संदेश भी देती है। अपनी पहचान और रोजी रोटी के लिए संघर्ष कर रहा नवोदित वकील जॉली कैसे एक हाई प्रोफाइल ‘हिट एंड रन’ केस से जुड़ जाता है और कैसे ये नौसिखिया वकील ताकतवर सिस्टम से टकराता है ये देखना बेहद दिलचस्प है। फिल्म की जान जज की भूमिका निभा रहे सौरभ शुक्ला का काम है। जज का ये किरदार आपको गुदगुदाएगा भी और सोचने पर भी मजबूर कर देगा। यह फ़िल्म वास्तविकता के बहुत करीब है और कहानी बहुत रोचक है।
6. दामिनी / Damini (1993)
निर्देशक- राजकुमार संतोषी लेखक- राजकुमार संतोषी, सुतनु गुप्ता
मुख्य कलाकार– मीनाक्षी शेषाद्रि, ऋषि कपूर, सन्नी देयोल, अमरीश पुरी, कुलभूषण खरबन्दा, विजयेन्द्र घाटगे, परेश रावल, रोहिणी हतंगड़ी, टीनू आनन्द आदि
विशेष नोट- अदालत में वकील का कोट पहनकर जब सनी देओल “तारीख पर तारीख…. ” वाला डायलॉग बोलते हैं तो सिनेमा हॉल तालियों से गूंज उठता है। हालांकि राजकुमार संतोषी की ये फिल्म रियल कोर्ट से अलग कुछ नाटकीयता लिए हुए है, लेकिन फिर भी इसके संवेदनशील संवादों की वजह से दर्शकों ने इस फिल्म को बहुत पसंद किया। फिल्म एक घरेलू नौकरानी के रेप के मामले के इर्द-गिर्द घूमती है। इस घटना की मुख्य गवाह ‘दामिनी’ यानि मीनाक्षी को किन मुसीबतों का सामना करना पड़ता है इसी पर फिल्म आधारित है। सनी देओल और अमरीश पुरी के बीच अदालत के संवाद इस फिल्म का प्रमुख आकर्षण है। याद रहे इस फ़िल्म में सनी देयोल को उनके अभिनय के लिए नेशनल अवार्ड से नवाजा गया है।
5. कानून / Kanoon (1960)
निर्देशक- बी.आर. चोपड़ा लेखक- अख़्तर उल-ईमान, सी.जे. पावरी
मुख्य कलाकार– अशोक कुमार, राजेन्द्र कुमार, नन्दा, महमूद, जीवन, इफ़्तिख़ार, ओमप्रकाश, शशिकला, शुभा खोटे, लीला चिटनिस आदि
फिल्म मौत की सजा के खिलाफ एक मामला प्रस्तुत करती है, यह तर्क देते हुए कि गवाहों को वास्तव में धोखा दिया जा सकता है, और उनके परिणामस्वरूप अनजाने में दी गई झूठी गवाही किसी को गलत तरीके से फांसी की ओर ले जा सकती है। यह फिल्म एक हत्या के मामले की कोर्ट रूम ड्रामा थी, जहां जज (अशोक कुमार) का भावी दामाद (राजेंद्र कुमार) हत्या के एक मामले में बचाव पक्ष का वकील है, जिसके लिए उसे अपने होने वाले ससुर पर शक है। यह फिल्म भारत की पहली बिना गाने वाली हिन्दी फ़िल्म थी। फ़िल्म बेहतरीन है लेकिन ब्लैक एंड वाइट और फ़िल्म का क्लाइमैक्स सन्न करने वाला है।
4. सेक्शन 375 / Section 375 (2001)
निर्देशक- अजय बहल लेखक- मनीष गुप्ता
मुख्य कलाकार– अक्षय खन्ना, रिचा चड्डा, मीरा चोपड़ा, राहुल भट्ट, श्रीस्वरा, संध्या मृदुल, किशोर कदम, कृतिका देसाई आदि
विशेष नोट- अजय बहल द्वारा निर्देशित सेक्शन 375 की कहानी बलात्कार के एक केस के इर्द-गिर्द घूमती है। इस केस में सारे सुबूत आरोप आरोपी के खिलाफ होते हैं, लेकिन हकीकत ब्लैक एंड व्हाइट के बीच में ‘ग्रे एरिया’ में होती है। फिल्म में कोर्ट की कार्यवाही बिना किसी फालतू लाग लपेट के दिखाने की गई है। ये फिल्म बलात्कार जैसे घृणित अपराध से जुड़े एक अन्य पक्ष को भी सामने लाती है। फिल्म में अक्षय खन्ना और ऋचा चड्ढा ने वकील की भूमिका बेहद प्रभावी ढंग से निभाई हैं।
3. पिंक / Pink (2016)
निर्देशक- अनिरुद्ध रॉय चौधरी लेखक- शूजित सरकार, रितेश शाह, अनिरुद्ध रॉय चौधरी
मुख्य कलाकार– अमिताभ बच्चन, तापसी पन्नू, कीर्ति कुल्हाड़ी, अंगद बेदी, पीयूष मिश्रा, धृतमान चटर्जी, विजय वर्मा, दिबांग, आन्द्रेया तारियंग आदि
विशेष नोट- ‘नो… मीन्स नो’ फिल्म में वकील की भूमिका निभा रहे अमिताभ बच्चन का ये डायलॉग काफी प्रभावी साबित हुआ था। ये फिल्म भी बलात्कार जैसे संवेदनशील मुद्दे को लेकर बनाई गई। अमिताभ के अलावा तापसी पन्नू, कीर्ति कुल्हारी के दमदार अभिनय से सजी इस फिल्म में समाज की उस पुरुषवादी मानसिकता पर चोट की गई थी, जो किसी महिला के चरित्र को उसके कपड़ों या जीवनशैली से तय करता है। पिंक ने अन्य सामाजिक मुद्दों पर सर्वश्रेष्ठ फिल्म के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्राप्त किया। इस फिल्म को तमिल में नेरकोंडा परवाई (2019) और तेलुगु में वकील साब (2021) के रूप में रीमेक किया गया है।
2. ओएमजी: ओह माय गॉड / OMG – Oh My God! (2012)
निर्देशक- उमेश शुक्ला लेखक– उमेश शुक्ला, सौम्या जोशी, भावेश मंडिलया
मुख्य कलाकार– परेश रावल, अक्षय कुमार, मिथुन चक्रवर्ती, गोविन्द नामदेव, ओमपुरी, महेश मंजरेकर, पूनम झावर आदि
उमेश शुक्ला द्वारा निर्देशित ये फिल्म धर्म के नाम पर समाज में फैलाए गए पाखंड पर चोट करती है। नास्तिक कांजी (परेश रावल) की दुकान भूकंप के कारण ढह जाती है और इंश्योरेंस कंपनी इसे एक्ट ऑफ गॉड करार देकर इंश्योरेंस राशि का भुगतान करने से इंकार कर देती है। परेशान कांजी इसे लेकर भगवान पर मुकदमा दायर कर देता है। इसे अनोखे मुकदमे के कारण कई लोगों की पोल खुलती है और कोर्ट रूप में हंसी के फव्वारे भी छूटते हैं। ये फिल्म तेलगु में भी गोपाला-गोपाला के नाम से बनाई गई है जिसमें तेलगु सुपरस्टार वैंकटेश ने परेश रावल वाला रोल किया है, तो पवन कल्याण ने अक्षय कुमार की तरह भगवान की भूमिका निभाई है।
1. एक रुका हुआ फैसला / Ek Ruka Hua Faisla (1986)
निर्देशक- वासु चटर्जी लेखक- रंजित कपूर, वासु चटर्जी
मुख्य कलाकार– पंकज कपूर, अन्नू कपूर, हेमन्त मिश्रा, के.के.रैना, एम.के.रैना, एस.एम. ज़हीर, सुब्बीराज, शैलेन्द्र गोयल आदि
‘एक रुका हुआ फैसला’ एक बहुत ही अंडररेटेड फिल्म है, लेकिन फिल्म का कंटेंट इतना दमदार है कि इसे बेहतरीन कोर्ट रूम ड्रामा फिल्मों में नंबर 1 पर बहुत ज़रूरी है। ये कहानी उस वक्त की है जब किसी फैसले पर पहुंचने के लिए प्रतिष्ठित लोगों की ज्यूरी की मदद ली जाती थी। इस फिल्म में हत्या के एक मामले को लेकर ज्यूरी के सदस्यों के बीच तनाव, कशमकश, न्याय के लिए उनकी प्रतिबद्धता को बहुत ही बेहतरीन ढंग से दिखाया गया है। पंकज कपूर, अन्नू कपूर, के के रैना, एम के रैना जैसे मंझे हुए कलाकारों के अभिनय ने इस फिल्म को एक मास्टरपीस बना दिया है। खास बात ये है कि फिल्म की शूटिंग केवल एक कमरे में की गई है। फिल्म का निर्देशन बासु चटर्जी ने किया है।
अन्य महत्त्वपूर्ण कोर्ट रूम ड्रामा मूवीज
शौर्य, ऐतराज़, शाहिद, वीरा ज़ारा, वक़्त (1960), मेरा साया, जॉली एलएलबी-2, नो वन किल्ड जेसिका, कोर्ट (2014), सबसे बड़ा खिलाड़ी, दो भाई, बात एक रात की, अंधा कानून, क्योंकि मैं झूठ नहीं बोलता। {अपडेट दिनांक:- 26 दिसंबर 2021}